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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Roop 14

🔹 आज रूप चौदस है।       वीर प्रभु का अंतिम दर्शन हुआ था आज । 🔸 सचमुच देखने योग्य, जिनमुद्रा ही है । 🔹 जिन रूप अर्थात सुखी जीव का रूप । 🔸 जिन दर्शन अर्थात् आत्म दर्शन । 🔹 अंतिम दर्शन अर्थात् लें लों दर्शन का जितना लाभ लेना हो ले लों,अब फिर नहीं मिलेगा। 🔸 जिन किसका दर्शन कर रहें हैं,       उसके दर्शन का नाम है जिनदर्शन । 🔹 जिनरूप अर्थात चिद्रूप । 🔸 ऐसा दर्शन करों कि अब       अनंत काल दर्शन की जरुरत ही न पड़े । 🔹 जिन मुद्रा से अलौकिक,       इस विश्व मे कोई मुद्रा नहीं है । 🔸 ये रूप ही सच्चा रूप है,       बाकी तो सब कुरूप है ।