Posts

Showing posts with the label Navpad Oli

Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Navpad Oli परमात्मा ने जो कहा है, गणधर भगवन्तो ने रचना की है वही सच्चा और निःशंक ज्ञान है।

Image
आज नवपदजी ओली का 7वां दिन ज्ञान पद की आराधना का दिन संसार में जो भी दुःख है, वो सब हमारे अज्ञान के कारण है । ज्ञान के अभाव में हम देव गुरु और धर्म की पहचान नही कर पा रहे है। उसी कारण हमारा चार गति में भटकना जारी है । ज्ञान के अभाव में जो ग्रहण करना चाहिए उसे हम छोड़ देते है, तुच्छ चीजों को पकड़ के रखते है, सही और गलत का निर्णय भी हम अज्ञान के कारण नही कर पा रहे है । संसार छोड़ने के लिए है । संयम पालन के लिये है ।

Navpad oli श्री नवपद शाश्वत ओली आराधना... छठा दिवस : सम्यग् दर्शन गुण की आराधना..

Image
श्री  नवपद  शाश्वत  ओली  आराधना... छठा दिवस : सम्यग् दर्शन गुण की आराधना.. सम्यग् दर्शन पद की आराधना के लिए उसके बारे में जानना आवश्यक है। महान् दर्शन पद की आराधना का दिन पिछले 5 दिन तक हमने देव और गुरु तत्त्व की आराधना की, समझी । आज से धर्म तत्त्व की आराधना। धर्म को प्राप्त करके ही धर्मी बना जा सकता है। धर्म तत्त्व में पहला है सम्यग् दर्शन। सम्यग् दर्शन के बिना सभी प्रकार का ज्ञान मिथ्या ज्ञान कहलाता है। किसी भी प्रकार की क्रिया मिथ्या कहलाती है। इसलिए सबसे जरुरी और मुख्य तत्त्व है सम्यग् दर्शन।

Navpad Oli 5th day साधू जीवन, जगत के लिए आश्चर्य रूप है।

Image
sadhu pad, jain sadhu, jain muni, साधू पद की आराधना का दिन  आज नवपद ओलीजी का पांचवा दिन साधको की साधना में सदा सहायता करने वाले , अप्रमत्त गुण के धारक , लोक में रहे हुए सभी साधू भगवंतों को हमारी भाव पूर्वक वन्दना । साधू पद का वर्णन साधना करे वो साधू , मौन रखे वो मुनि स्वयं के मन पर नियंत्रण रखे वह साधू कोई भी वचन व्यर्थ का उच्चरित न हो , ऐसा ध्यान रखने वाले। कोई प्रवृत्ति विरुद्ध न हो जाये इसकी जागरूकता रखने वाले। साधू जीवन , जगत के लिए आश्चर्य रूप है। http://www.jahajmandir.org/

Navpad Oli नवपद ओलीजी का आज चौथा उपाध्याय पद की आराधना का दिन

Image
नवपद ओलीजी का आज चौथा दिन। उपाध्याय पद की आराधना का दिन। http://www.jahajmandir.org/ तपस्वियों के शाता हो ऐसी दादा गुरुदेव से प्रार्थना।। उपाध्याय यानि शिष्यों के पठन पाठन की जिम्मेदारी, विनय की प्रतिमूर्ति, निश्रावर्ति सभी साधुओ को संयम मार्ग में स्थिर करने का महान कार्य।। आचार्य शासन को चलाता है तो उपाध्याय संघ को।। जिस वाणी को तीर्थंकरो ने कहा है उस वाणी को उपाध्याय पदधारी हमे सुनाते है।। योग्य आत्मा को वात्सल्य, समझ, स्नेह देकर उसे धर्म में रत करना - यह उनकी जिम्मेदारी है।

Navpad Oliji 3rd day Achary pad आज नवपद ओलीजी का तीसरा दिन

Image
आज नवपद ओलीजी का तीसरा दिन। आचार्य पद की आराधना का दिन। 9 पदों में किसी भी व्यक्ति विशेष को वंदना नही की गयी है। जो जो आत्मा उन उन महान गुणों तक पहुँचे है उन सभी गुणीजनों को एक साथ वंदना की गयी है। @ आचार्य पद को नमन  शासन की स्थापना अरिहंत परमात्मा करते हे सिद्ध परमात्मा को नमन कर के.. अरिहंत परमात्मा की अनुपस्थिति मेँ आचार्य भगवंत जिन शासन का प्रतिनिधित्व करते हे।। साधु साध्वी श्रावक श्राविका आदि चतुर्विध संघ का निर्वहन करते हे। सिद्ध प्रभु ने हमको निगोद से बाहर निकाला। अरिहंत प्रभु ने हमको धर्म का उपदेश दिया। वीर प्रभु के निर्वाण से आज तक 2500 साल हुए हैं। और परमात्मा का शासन 18500 वर्ष तक चलेगा । इतने लंबे समय तक शासन को आचार्य भगवंत चलाएंगे।

navpad oli ओलीजी आराधना...उन पवित्र आत्माओं को सिद्ध कहा जाता है। जिन आत्माओ ने खुद के ऊपर लगे हुए सभी कर्मों का क्षय कर दिया हो। जो संसार के बंधन से मुक्त हो गए है। जो कभी जन्म नही लेंगे। जिनकी कभी मृत्यु नही होगी, जिनका कोई शरीर, मन नही है।

Image
navpad oli  आज नवपद ओलीजी का दूसरा दिन सिद्ध पद की आराधना का दिन 9 पदों में किसी भी व्यक्ति विशेष को वंदना नही की गयी है। जो जो आत्मा उन उन महान गुणों तक पहुँचे है उन सभी गुणीजनों को एक साथ वंदना की गयी है। नमो सिद्धाणं।।। सिद्ध प्रभु का परिचय जिन आत्माओ ने खुद के ऊपर लगे हुए सभी कर्मों का क्षय कर दिया हो। जो संसार के बंधन से मुक्त हो गए है। जो कभी जन्म नही लेंगे। जिनकी कभी मृत्यु नही होगी, जिनका कोई शरीर, मन नही है। उन पवित्र आत्माओं को सिद्ध कहा जाता है।

Navpad Oli Detail नवपद ओली आराधना... अगर अरिहंत नही होते तो करुणा का इतना प्रचार नही होता।।। धर्म का ज्ञान नही होता।।। शासन की स्थापना नही होती।।।

Image
Navpad Oli Detail जैन जगत में नवपद की महिमा अपरंपार है ! नवपद : 1.अरिहंत 2. सिद्ध 3. आचार्य 4. उपाध्याय 5. साधु  6.दर्शन  7. ज्ञान 8. चारित्र 9. तप !! यह आराधना वर्ष में दो बार आयंबिल तप के द्वारा की जाती है ! 1. चैत्र सुदी 7 से 15 ( पूनम ) 2. आसोज सुदी 7 से 15 तक ! http://www.jahajmandir.org/ नवपद ओली आराधना का प्रारंभ आसोज माह से किया जाता है, एवं कुल 9 ओली अर्थात् चाढ़े चार वर्ष तक कुल 81 आयंबिल के साथ यह तप पूर्ण होता है ! नवपद आराधना में आज प्रथम पद में अरिहंत पद की आराधना की जाती है अरि यानि शत्रु हंत यानि नाश करने वाले... शत्रुओ का नाश करने वाले अरिहंत कहलाते है... अरिहन्त अपने कर्म रूपी शत्रु का नाश करते है... अगर अरिहंत नही होते तो करुणा का इतना प्रचार नही होता।।। धर्म का ज्ञान नही होता।।। शासन की स्थापना नही होती।।।

Navpad Oli तप धर्म की आराधना.. परमात्मा महावीर जानते थे कि उन्हें उसी भव में मोक्ष जाना है। फिर भी घाती कर्मों का क्षय करने के लिए दीक्षा लेकर एकमात्र तप धर्म का ही सहारा लिया। साढ़े बारह वर्ष तक भूमि पर बैठे नही। सोये नहीं। तप की साधना तभी फलीभूत हुयी और सभी घाती कर्मों का क्षय कर केवलज्ञान को प्राप्त किया ।

Image
navpad oli आज नवपद ओली जी का अंतिम 9 वां दिन तप पद की आराधना तप जीवन का अमृत है  । जैसे अमृत मिलने पर मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है वैसे ही हमारे जीवन में तप रूपी अमृत आने पर जीवन अमर हो जाता है। दूध को तपाने से मलाई,  अन्न को तपाने से स्वादिष्ट भोजन,  सोने को तपाने से आभूषण बन जाता है।  वैसे ही शरीर को तप की अग्नि द्वारा तपाने से हमारे कर्म रूपी मैल खिरने लगता है  ।

Navpad Oli 8th day संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए !

नवपद ओलीजी का आज आठवां दिन चारित्र पद की आराधना आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए ! संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! बिना इसके कोई नही जा सकता है वह चारित्र 2 प्रकार का - 1 देश विरति ( श्रावक जो छोटे नियम व्रत का पालन करता है) 2 सर्व विरति (साधू जो 5 महाव्रत का पालन करता है) राग और चारित्र में कट्टर शत्रुता है,  दोनों में से कोई 1 ही रह सकता है! हमारे हृदय में राग इतना जोरदार चिपक गया है । वैराग्य भाव टिक नहीं रहा है। चारित्र के लिये राग नहीं, वैराग्य चाहिए।

Navkar prarthna... Namokar Aradhna नवकार आभार प्रार्थना

नमो अरिहंताणं ।। हे अरिहंत प्रभु ! आप परम योग्य हैं ,  आपकी योग्यता को नमस्कार हो। आपकी प्रेरणा से मेरे भीतर की योग्यताएँ प्रकट हो रही हैं इसलिए आपका आभार-आभार-आभार ! नमो सिद्धाणं हे सिद्ध प्रभु !  आप सर्वथा शुद्ध हो । मंज़िल को प्राप्त हो चुके हो। आपकी शुद्ध बुद्ध मुक्त अवस्था को मेरा नमस्कार हो । आपकी प्रेरणा से मैं भी अपनी मंज़िल को प्राप्त हो रहा हूँ इसलिए आपका आभार-आभार-आभार ! धन्यवाद !!