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Showing posts from August, 2016

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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Pravachan Acharya Jinmaniprabhsuri ji @Durg Chaturmas 29 August 2016

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 Acharya Jinmaniprabhsuri ji अहिंसा परमोधर्म: का संदेश देने वाला पर्व पर्वाधिराज पर्यूषण एवं प्रतिवर्ष जीवन को धन्य बनाने का अवसर प्रदान करने वाला पर्व है। यह पर्व ऐसे आठ दिनों का समूह है जो श्रावकों को समस्त हिंसा वाला क्रियाओं को त्यागने तथा अहिंसा को अपने जीवन में सभी कर्म-विधानों, मन-वचन और काया से निर्वहन की शिक्षा देता है। वर्ष भर में जाने-अनजाने की गई हिंसा और जीव-जंतुओं को पहुंचायी गई पीड़ा के लिए क्षमा प्रार्थना का अवसर है, पर्यूषण पर्व। दुर्ग में चल रही प्रवचन श्रृंखला में आज दिए गए विशेष प्रवचन में आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने उक्त विचार व्यक्त किए।

Palitana - JinaHari Vihar श्री पालीताना स्थित जिनहरि विहार धर्मशाला में मुनि मयंकप्रभसागर महाराज के निर्देशन में चल रहे पर्यूषण प्रवचन में जिनवाणी श्रवण करते हुये श्रोता गण

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Paryushan pajushan जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व है। यह सर्वश्रेष्ठ पर्व माना जाता है। पर्युषण आत्मशुद्धि का पर्व है, कोई लौकिक त्यौहार नहीं।

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इस पर्व में सम्यग दर्शन ज्ञान चारित्र की आराधना कर आत्मा को मिथ्यात्व, विषय व कषाय से मुक्त कराने का प्रयत्न पुरुषार्थ किया जाता है। जैन आगमों में वर्णित ६ अ ठा ई में से ये एक है। इसके अलावा ३ चातुर्मास व दो ओली की अ ठा इयाँ होती है। इनमें देवता-गण भी नन्दीश्वर द्वीप में जा कर आठ दिन तक भगवान की भक्ति करते हैं। देवगण परमात्मा की भक्ति के अलावा जप-तप अदि कोई धर्म  कृ त्य नहीं कर सकते, परंतु मनुष्य हर प्रकार की धर्मक्रिया कर सकता है। अत: पर्युषण में विशेष रूप से धर्म की आराधना करना कर्तव्य है।

Kharatar Diwas ... पालीताणा में खरतर दिवस मनाया

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Kharatar Diwas पालीताणा स्थित जिन हरि विहार धर्मशाला में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरि महाराज के शिष्य मुनिराज मयंकप्रभसागर महाराज के निर्देशन में चातुर्मास आराधना-साधना-ज्ञानाराधना पूर्वक चल रहा है। इसी क्रम में दिनांक 8 अगस्त 2016 को प्रात: साढे नौ बजे आराधना भवन में खरतर दिवस मनाया गया। द्विशताधिक आराधक भाई-बहिनों की विशाल उपस्थिति मेंं यह दिवस भव्य रूप से मनाया गया। धर्मसभा में सर्वप्रथम नवकार मंत्र का सामुहिक गान कर विश्व शांति की मंगल कामना की गयी। फिर गणनायक सुखसागर गुरु की प्रार्थना से धर्मसभा की शुरुआत हुई। मुनि मेहुलप्रभसागर महाराज एवं मुनि कल्पज्ञसागर महाराज ने अपने उद्बोधन में खरतर गच्छ के परंपरा, इतिहास की विस्तृत जानकारी दी।  उन्होंने कहा कि भगवान महावीर की परंपरा में गुरु भगवंतों ने त्याग का मार्ग अपनाया। शिथिलाचार का त्याग कर आचार धर्म की प्रतिष्ठा की। जीवन उसी का अनुकरणीय है जिनका जीवन परमार्थ के लिये के लिये हो। Kharatar Diwas महत्तरा साध्वी दिव्यप्रभा ने कहा कि श्रीसंघ को आध्यात्मिक प्रेरणा देने का कार्य आचार्यों का है। जिनमें

khartargachchh ki Bhartiy sanskruti ko den. खरतरगच्छ की भारतीय संस्कृति को देन

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khartargachchh ki Bhartiy sanskruti ko den. खरतरगच्छ  की  भारतीय संस्कृति को देन khartargachchh ki Bhartiy sanskruti ko den. खरतरगच्छ कि भारतीय संस्कृति को देन 1

JinManiPrabhSuri Gurudev... दुर्ग नगर में चातुर्मास का लगा ठाट

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JinManiPrabhSuri           पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 6 एवं आगम ज्योति प्रवर्तिनी श्री प्रमोदश्रीजी म. की शिष्या पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म., बहिन म. डाँ. विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा 5 का दुर्ग नगर में ऐतिहासिक चातुर्मास संपन्न हो रहा है। श्री संघ की भक्ति, सेवा अनुमोदनीय है। उनका पुरूषार्थ अनुकरणीय है। पूज्यश्री के प्रवचनों में सभी पंथों के लोग सम्मिलित हो रहे हैं। 15 हजार वर्गफीट के विशाल पाण्डाल में रविवार को जरा भी जगह नहीं रहती।

Palitana JinHari vihar जिनहरि विहार में आराधना का ठाठ

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muni Mayankprabh ms            पालीताणा स्थित जिन हरि विहार धर्म शा ला में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरिजी महाराज के शिष्य मुनिराज श्री मयंकप्रभसागरजी महाराज के निर्दे श न में चातुर्मास आराधना-साधना-ज्ञानाराधना पूर्वक चल रहा है।                 प्रतिदिन प्रात: प्रवचन में गणनायक श्री सुखसागरजी महाराज की प्रार्थना का सामुहिक संगान किया जाता है। मुनि मेहुलप्रभसागरजी म. एवं मुनि कल्पज्ञसागरजी म. प्रवचन में आराधना के सार तत्व का विश्लेषण करते है। जिसमें काफी अच्छी संख्या में श्रोता भाग ले रहे है।                  दोपहर में मुनि मेहुलप्रभसागरजी म. समाचारी शतक ग्रंथ की वाचना देते है। साथ ही पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मनोज्ञसागरजी महाराज के शिष्य पूज्य मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी महाराज श्रावक श्राविकाओं को चातुर्मास में स्वाध्याय के माध्यम से आत्मा , कर्म सिद्धान्त , नौ तत्व आदि की शिक्षा देकर अनुमोदनीय कार्य करते है।                 ज्ञातव्य है कि जिन हरि विहार धर्म शा ला में पूज्या महत्तरा श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा , साध्वी हेमरत्नाश्रीजी म. आदि

Khartargacch pratinidhi sabha श्री अ. भा. जैन श्वे. खरतरगच्छ प्रतिनिधि महासभा की बैठक संपन्न

दुर्ग नगर में ता. 31 जुलाई 2016 को पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में महासभा की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता महासभा के संयोजक श्री मोहनचंदजी ढड्ढा ने की।                 बैठक में सर्वसम्मति से महासभा का विधान पारित किया गया। इसे अहमदाबाद में पंजीकरण का निर्णय किया गया। सर्वसम्मति से आगामी तीन वर्ष के कार्यकाल के लिये रायपुर निवासी श्री मोतीचंदजी झाबक को अध्यक्ष चुना गया।

Khartargacch pedhi श्री जिनदत्त-कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी के चुनाव संपन्न

श्री सिद्धाचल महातीर्थ पर पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की पावन प्रेरणा से संस्थापित श्री जिनदत्त-कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी के चुनाव दुर्ग नगर में पूज्यश्री की पावन निश्रा में संपन्न हुए। पेढी की साधारण सभा हुई , जिसकी अध्यक्षता पेढी के अध्यक्ष श्री मोहनचंदजी ढड्ढा ने की। कार्यकाल पूरा होने पर पेढी के विधान के अनुसार चुनाव हुआ , जिसमें संघवी श्री तेजराजजी गुलेच्छा को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया। श्री भंवरलालजी छाजेड मुंबई वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। श्री पदमचंदजी टाटिया , चेन्नई महामंत्री एवं श्री दीपचंदजी बाफना अहमदाबाद कोषाध्यक्ष चुने गये। निवर्तमान अध्यक्ष श्री मोहनचंदजी ढड्ढा को संरक्षक बनाया गया।