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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Pranam Gurudev ।। स्वीकार करो दादा प्रणाम हमारा है ।।

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अरदास हमारी है आधार तुम्हारा है स्वीकार करो दादा प्रणाम हमारा है नैनो में रंगे हो तुम मेरे दिल में बसे हो तुम अर्जी स्वीकार करो भवसागर पार करो फिर हाथ फिरा करके मेरा उद्धार करो गिरते को उठाना तो दादा काम तुम्हारा है स्वीकार करो दादा प्रणाम हमारा है 👏👏👏👏

Dada Gurudev ।।। दादा गुरुदेव का भजन  ।।।

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बोलिये दादा जिनकुशलसुरि गुरुदेव की जय         ।।। दादा गुरुदेव का भजन   ।।। देराउर में स्वर्ग हुवो वो मालपुरा में दर्श दियो.... माँ जैसल थारो पूत कठे वो कुशलसुरी गुरुदेव कठे हो सिवाना में जन्म लियो, हो..... वो मंत्रीश्वर रो लाल कठे         माँ जैसल.... मैं बांच्यो है इतिहासों में मायड़ थे ऐडा पूत जणाया थे नाम लजाओ नहीं थारो कलयुग में थे अवतार हुआ "छाजेड़" गौत्र उद्धार कियो हो.... वो कुशल सूरी गुरुदेव कठे          माँ जैसल.... वो धरती देराउर री जहाँ गुरुदेव का स्वर्ग हुआ एक भक्त री पुकार सुणी ने वो मालपुरा धाम बना हो अमावस री पूनम कीनी....हो.... वो कुशलसुरी गुरुदेव कठे।       माँ जैसल थारो....

मालपुरा दादा गुरुदेव चरण के आज के दर्शन।।। आज 18 फ़रवरी को प्रगट प्रभावी चौरासी गच्छ श्रंगारहार जंगम युग प्रधान भटारक खरतरगच्छ चारित्र चूड़ामणि तीसरे दादा श्री जिन कुशलसूरीश्वर जी म.सा. की 682 वीं स्वर्गारोहण जयंती समारोह बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है । उनका संक्षिप्त परिचय-

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आज 18 फ़रवरी को प्रगट प्रभावी चौरासी गच्छ श्रंगारहार जंगम युग प्रधान भटारक खरतरगच्छ चारित्र चूड़ामणि तीसरे दादा श्री जिन कुशलसूरीश्वर जी म.सा. की 682 वीं स्वर्गारोहण जयंती समारोह बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है । उनका संक्षिप्त परिचय- आपका जन्म राजस्थान के बाडमेर में गढ सिवाना में विक्रम स्वंत्त 1337 में छाजेड गोत्र में हुवा , आपके बचपन का नाम करमन था । आप व्याकरण न्याय साहित्य अलंकार ज्योतिष मंत्र तंत्र चित्राकव्य समस्या पूर्ति और जैन दर्शन के अभूतपर्व विद्वान् थे । आप भक्तों के रोम रोम में बसे हुवे हो जब भी भक्त आपको याद करते हैं ,आप तुरंत हाजिर हो जाते हो ,आपके राजस्थान में आज भी जयपुर में मालपुरा , जैसलमेर में बरमसर ,और बीकानेर में नाल दादावाडी हैं, जहा आपने अपने भक्तो को देवलोक होने के बाद दर्शन दिए और उनका मनोरथ पूरा किया । आपके चमत्कार अनगिनत हैं क्यों की आप सदैव भक्तो के लिए ही बने ,चाहे लुनिया जी श्रावक का आज के पाकिस्तान से अपनी बेटियों का शील बचाने के लिए बरमसर आना. एक शासन श्रावक भक्त को मालपुरा में साक्षात दर्शन देना करमचंद बछावत के मंत्री वरसिंह की प्रबल इच्छा का