कोयम्बतूर में मंदिर दादावाडी की प्रतिष्ठा संपन्न........ तमिलनाडु के कोयम्बतूर नगर में श्री विजयराजजी सौ. पारसमणि देवी पुत्र कुशलराज झाबक परिवार द्वारा स्वद्रव्य से निर्मित श्री स्तंभन पाश्र्वनाथ जिन मंदिर एवं श्री जिनदत्तसूरि दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म.सा. एवं पूजनीया महत्तरा साध्वी श्री मनोहरश्रीजी म.सा. की शिष्या पूजनीया साध्वी श्री तरूणप्रभाश्रीजी म. सुमित्राश्रीजी म. प्रियमित्राश्रीजी म. मधुस्मिताश्रीजी म. एवं पूजनीया महत्तरा श्री चंपाश्रीजी म. जितेन्द्रश्रीजी म. की शिष्या पूजनीया साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म. विश्वरत्नाश्रीजी म. रश्मिरेखाश्रीजी म. चारूलताश्रीजी म. मयूरप्रियाश्रीजी म. चारित्रप्रियाश्रीजी म. तत्वज्ञलताश्रीजी म. संयमलताश्रीजी म. आदि के पावन सानिध्य में परम भक्ति भावना के वातावरण में संपन्न हुई।
प्रतिष्ठा महोत्सव का प्रारंभ ता. 29 जनवरी को कुंभ स्थापना से हुआ। ता. 30 को पूज्यश्री मंगल प्रवेश हुआ। च्यवन कल्याणक आदि विधान संपन्न किये गये।
शास्त्रीय आधार पर समस्त कल्याणकों के विधान मंदिरजी में ही किये गये। ता. 1 फरवरी को भव्य वरघोडा संपन्न हुआ। ता. 2 फरवरी को मंगल मुहूत्र्त में परमात्मा स्तंभन पाश्र्वनाथ, दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरि, नाकोडा भैरव, घंटाकर्ण महावीर, श्री अंबिका देवी, श्री सरस्वती देवी, श्री काला गोरा भैरव, श्री पाश्र्व यक्ष एवं श्री पद्मावती देवी की प्रतिष्ठा की गई। इस प्रतिष्ठा महोत्सव की यह विशिष्टता रही कि किसी भी प्रकार की कोई बोली नहीं बोली गई।
जैसलमेर के पीत पाषाण में उत्तम कोरणी युक्त इस जिन मंदिर में केवल पाश्र्वनाथ परमात्मा की एक ही खडी विशाल प्रतिमा बिराजमान की गई। दादावाडी में ध्यान-मुद्रा में दादा जिनदत्तसूरि की मनोहारी प्रतिमा बिराजमान की गई। परमात्मा व गुरुदेव की केवल एक एक प्रतिमा ही बिराजमान की गई।
जिन मंदिर के पास ही दादावाडी का निर्माण हुआ है। इस मंदिर दादावाडी में 10 हजार से अिधक घन फीट पाषाण लगा। इसका निर्माण मात्र चार महिने में किया गया। श्री विजयराजजी सौ. पारसमणि देवी, पुत्र कुशलराज, जामाता संजयजी गुलेच्छा ने इस मंदिर दादावाडी के निर्माण में रात दिन एक किया। पूज्यश्री ने स्फटिक रत्न मय दादा गुरुदेव की दिव्य प्रतिमा श्री झाबकजी को साधना के लिये भेंट की। बाहर से बडी संख्या में अतिथियों का आगमन हुआ। झाबक परिवार ने स्वद्रव्य से जिनमंदिर व दादावाडी का निर्माण किया व प्रतिष्ठा का पूरा लाभ लिया।
ता. 3 फरवरी को द्वारोद्घाटन हुआ। दादा गुरुदेव की पूजा पढाई गई।
jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh, kushalvatika, JAHAJMANDIR, MEHUL PRABH, kushal vatika, mayankprabh, Pratikaman, Aaradhna, Yachna, Upvaas, Samayik, Navkar, Jap, Paryushan, MahaParv, jahajmandir, mehulprabh, maniprabh, mayankprabh, kushalvatika, gajmandir, kantisagar, harisagar, khartargacchha, jain dharma, jain, hindu, temple, jain temple, jain site, jain guru, jain sadhu, sadhu, sadhvi, guruji, tapasvi, aadinath, palitana, sammetshikhar, pawapuri, girnar, swetamber, shwetamber, JAHAJMANDIR, www.jahajmandir.com, www.jahajmandir.blogspot.in,
Comments
Post a Comment
आपके विचार हमें भी बताएं