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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Navpad Oli 5th day साधू जीवन, जगत के लिए आश्चर्य रूप है।

sadhu pad, jain sadhu, jain muni,
साधू पद की आराधना का दिन आज नवपद ओलीजी का पांचवा दिन
साधको की साधना में सदा सहायता करने वाले, अप्रमत्त गुण के धारक, लोक में रहे हुए सभी साधू भगवंतों को हमारी भाव पूर्वक वन्दना ।
साधू पद का वर्णन
साधना करे वो साधू,
मौन रखे वो मुनि
स्वयं के मन पर नियंत्रण रखे वह साधू
कोई भी वचन व्यर्थ का उच्चरित न हो, ऐसा ध्यान रखने वाले।
कोई प्रवृत्ति विरुद्ध न हो जाये इसकी जागरूकता रखने वाले।
साधू जीवन, जगत के लिए आश्चर्य रूप है।
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साधू यानि जंगम तीर्थ
साधू यानि जिन्दा जागता धर्म
साधू यानि करुणा की मूरत
साधू यानि नम्रता की निशानी
साधू यानि निर्लोभी
साधू यानि शुद्धि का अवतार
आँख में, चेहरे में, चलते, बोलते, कोई भी प्रवृत्ति करते हो, उनकी हर क्रिया में साधूता के दर्शन होते है।
जीवों का प्रतिपालक, सभी जीवों के लिए माता के समान, किसी जिव को किलामना ( दुःख) न हो इस बात का विशेष ध्यान रखते है।
जिसे कोई बाहर जगत का हर्ष नहीँ
जिसे कोई बाहर जगत का शोक नहीँ
जिसे कोई बाहर जगत का अपमान नहीँ
जिसे कोई बाहर जगत का सम्मान नहीँ
इन सब भूमिका से उपर
तीर्थंकरो की आज्ञा पालन करने वाले ऐसे साधू।
22 परिषहो को सहन करने में सदा तत्पर, 27 गुणों से सुशोभित, कृष्ण वर्ण के कषायों को जीतने के लिए प्रयत्नशील साधू पद को हमारा वंदन।।।
उनको किये गये वंदन से मुझे अपने जीवन में संयम की साधना मिले, मुक्ति की आराधना मिले -ये प्रार्थना।
अरिहंत की भक्ति से मोक्षमार्ग की अपेक्षा रखनी है
सिद्ध की भक्ति स्वस्वरूप प्राप्ति की अपेक्षा रखनी है
आचार्य की भक्ति पंचाचार प्राप्ति की अपेक्षा रखनी है
उपाध्याय की भक्ति से विनय गुण की अपेक्षा रखनी है
साधू की भक्ति से मोक्षमार्ग की आराधना में सहायता की अपेक्षा रखनी है
ऐसे महाप्रभावशाली, तारक पञ्च परमेष्ठी को हमारा वंदन

बोलिये दादा गुरुदेव की जय
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