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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

khartar gachchh खरतरगच्छ के 82वें गणाधीश पद का चादर समारोह संपन्न पूज्यश्री द्वारा साधु सम्मेलन की घोषणा


पूज्य प्रज्ञापुरूष आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रधान शिष्य रत्न पूज्य गुरुदेव मरूधर मणि उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. को सिंधनूर नगर की पावन धरा पर वीर संवत् 2541 ज्येष्ठ शुक्ल 11 शुक्रवार 29 मई 2015 को खरतरगच्छ के 82वें गणाधीश के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।
इस समारोह में सम्मिलित होने के लिये विशेष रूप से उग्र विहार कर श्रमण संघीय उपप्रवर्तक श्री नरेशमुनिजी म.सा. श्री शालिभद्रमुनिजी म. पधारे।
 इस अवसर पर पूज्यश्री ने गणाधीश के रूप में अपने प्रथम संबोधन में गच्छ के इतिहास की चर्चा करते हुए इसके सुनहरे अतीत का वर्णन किया। तथा बताया कि हमें बहुत जल्दी तैयारियां करनी है कि हम गच्छ का सहस्राब्दी समारोह रचनात्मक कार्यों के साथ मना सके। इसके लिये हमें पारस्परिक मतभेदों को भुलाना होगा। मेरा सभी साधु साध्वीजी म. एवं श्रावक श्राविकाओं से नम्र अनुरोध है कि हम सभी संपूर्ण रूप से एक होकर गच्छ व समुदाय को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का पुरूषार्थ करें। इसके लिये मैं चाहता हूँ कि हमारे सुखसागरजी महाराज के समुदाय के समस्त साधु साध्वीजी म. का सम्मेलन शीघ्र आयोजित किया जाये। इस लिये मैं यह घोषणा करता हूँ कि यह सम्मेलन इस चातुर्मास के तीन- साढे तीन महिने बाद आयोजित किया जायेगा। स्थान व समय की घोषणा रायपुर चातुर्मास प्रवेश के अवसर पर की जायेगी। सकल संघ ने इस घोषणा को जय जयकारों से बधया।


पूज्यश्री ने सर्वप्रथम पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री जिनकान्तिसागरसूरिजी म., पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. को प्रणाम किया। पू. बहिन म. का स्मरण करते हुए आज के दिन उनकी अनुपस्थिति के लिये दर्द प्रकट किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म.सा. ने कहा- आज के समारोह को देखने के लिये हजार हजार आंखें जैसे आनंद से पुलकित हो रही है, हजार हजार हृदय प्रसन्नता से सराबोर होकर नृत्य कर रहे हैं। इस दुनिया के अन्दर शिखर के कंगूरे को प्रणाम करने वाले हजारों लोग मिलते हैं, परन्तु वे भूल जाते हैं कि यह शिखर जिस नींव पर खडा है, उस नींव का अपना बहुत बडा बलिदान है। आज मैं शिखर को बधाई देने से पहले नींव के उन दो पत्थरों को बधाई देना चाहूँगा, जिन पर यह आलीशान प्रासाद खडा हुआ है। उन्होंने कहा- मैं सबसे पहली बधाई उस रत्नगर्भा धर्ममाता संघमाता गणाधीश माता को देना चाहूँगा जिनकी कुक्षि से हमारे संघ और गच्छ को एक मणि के रूप में कोहिनूर प्राप्त हुआ है। न करती वो माता अपने पुत्र के प्रति ममता का बलिदान तो आज हमें जो व्यक्तित्व सामने दिखाई दे रहा है, वह न होता। दूसरी बधाई मैं पूज्यश्री के गुरुदेव को देना चाहूँगा कि जिनके हाथों से तराशा गया एक सामान्य प्रस्तर आज जिन शासन की दैदीप्यमान मणि के रूप में चमक रहा है। उन्होंने तीसरी बधाई पूज्यश्री को प्रदान की। इस अवसर पर पूजनीया माताजी महाराज आदरणीया बहिन म.सा. की उपस्थिति होती तो इस कार्यक्रम में और अधिक चमक दमक आती। उनकी कमी को पूज्यश्री एवं हम सभी लगातार महसूस कर रहे हैं। और ऐसा कहते हुए वे भावुक हो उठे।
इस अवसर पर श्रमणसंघीय उपप्रवर्तक प्रवर श्री नरेशमुनिजी म. ने पूज्यश्री को बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा- एक योग्य व्यक्तित्व के हाथ में जब शासन की बागडोर आती है तब वह शासन-बाग वैसे ही खिल उठता है, जैसे एक योग्य माली के हाथ में कोई उपवन आता है।
पूज्यश्री का मेरा बहुत पुराना परिचय है। परिचय के साथ साथ प्रेम भी है। उनमें गंभीरता, उदारता, मधुरता, समन्वयता, सौजन्यशीलता जैसे अनेकानेक गुणों का अनुभव किया है। पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म. ने कहा- आज हम अत्यन्त प्रसन्न हैं कि आज हमारे समुदाय को एक समुन्नत व्यक्तित्व प्राप्त हुआ है। पूज्यश्री अत्यन्त निर्लिप्तता के साथ जो जीवन जीते हैं, उस निर्लिप्तता का स्पर्श करके हम गुणों को प्राप्त कर सकते हैं।
साध्वी श्री प्रीतियशाश्रीजी म. ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ के कोषाध्यक्ष बाबुलालजी छाजेड ने अपनी ओर से एवं महासंघ की ओर से, संघवी श्री तेजराजजी गुलेच्छा ने, श्री जिनदत्त कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी की ओर से, बिलाडा दादावाडी के अध्यक्ष श्री भूरचंदजी जीरावला एवं सिंधनूर जैन संघ की ओर से श्री गौतमचंदजी बम्ब ने शुभकामना व्यक्त की। पट्ट परम्परा का उल्लेख करते हुए खरतरगच्छ श्री सुखसागरजी महाराज के समुदाय के वरिष्ठ मुनि श्री मनोज्ञसागरजी म., गणिवर्य श्री पूर्णानंदसागरजी म. आदि समस्त साधु साध्वियों की ओर से शुभ मुहूत्र्त में गणाधीश की चादर पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी आदि साधु मंडल ने पूज्यश्री को ओढाई। उस समय सारा वातावरण खुशियों से नाच उठा। नूतन गणाधीश की जय जयकार से पूरा पाण्डाल गूंज उठा। पूज्यश्री को अभिनंदन पत्र प्रदान किया गया।
इस अवसर पर पाश्र्व मणि तीर्थ, कुशल वाटिका बाडमेर, गज मंदिर केशरियाजी, जहाज मंदिर मांडवला, जिन हरि विहार पालीताना, कैवल्यधाम रायपुर, चम्पावाडी सिवाना, अ.भा. हाला संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे। साथ साथ चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, सिकन्द्राबाद, मुंबई, इचलकरंजी, अहमदाबाद, रायपुर, जोधपुर, हाँस्पेट, बल्लारी, गदग, हुबली, कम्पली, हुविनहडगली, कोट्टूर, मानवी, रायचूर, आदोनी, पूना, सिवाना, मोकलसर, तिरपुर, तिरूनेलवेली, तिरूपातुर, जालना, गंगावती, कारटगी, सोलापुर, सांचोर, हगरीबोम्मनहल्लीपादरू, धोरीमन्ना, मैसूर, अक्कलकुआं, नन्दुरबार, कोप्पल आदि कई संघों के आगेवान बडी संख्या में उपस्थित थे। समस्त संघों ने कामली ओढा कर पूज्यश्री का अभिनंदन किया। समय की अल्पता के कारण दूर सुदूर क्षेत्रों के संघ जो नहीं पहुँच पाये, उन्होंने संचार माध्यम से पूज्यश्री का वर्धपना के साथ अभिनंदन किया। संगीतकार अंकित लोढा रायपुर व अरविन्द चौरडिया इन्दौर ने संगीत की स्वर लहरियों के माध्यम से वातावरण को संगीतमय बनाया।

एक दिन पूर्व ता. 28 मई को गुरू गुण वंदनावली का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने संचालन किया। इसमें मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म., साध्वी श्री प्रियलताश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियकल्पनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियस्वर्णांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियश्रेयांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियश्रुतांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियश्रेष्ठांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियमेघांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियशैलांजनाश्रीजी म. ने पूज्यश्री के गुणानुवाद करते हुए उनको गणाधीश बनने पर हार्दिक बधाई प्रस्तुत की।
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