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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Simandhar swami ji full details सीमंधर स्वामी का अधिक परिचय...

भगवान सीमंधर स्वामी कौन है?

भगवान सीमंधर स्वामी वर्तमान तीर्थंकर भगवान हैं, जो हमारी जैसी ही दूसरी पृथ्वी पर विराजमान हैं। उनकी पूजा का महत्व यह है कि उनकी पूजा करने से, उनके सामने झुकने से वे हमें शाश्वत सुख का मार्ग दिखाएँगे और शाश्वत सुख प्राप्त करने का और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाएँगे।
भगवान सीमंधर स्वामी कहाँ पर है?
महाविदेह क्षेत्र में कुल ३२ देश है, जिसमें से भगवान श्री सीमंधर स्वामी पुष्प-कलावती देश की राजधानी पुंडरिकगिरी में हैं। महाविदेह क्षेत्र हमारी पृथ्वी के उत्तर पूर्व दिशा से लाखों मील की दूरी पर है।

सीमंधर स्वामी का अधिक परिचय...
भगवान सीमंधर स्वामी का जन्म हमारी पृथ्वी के सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुंथुनाथ स्वामी और अठारहवें तीर्थंकर श्री अरनाथ स्वामी के जीवन काल के बीच में हुआ था। भगवान श्री सीमंधर स्वामी के पिताजी श्री श्रेयांस पुंडरिकगिरी के राजा थे। उनकी माता का नाम सात्यकी था।
अत्यंत शुभ घड़ी में माता सात्यकी ने एक सुंदर और भव्य रूपवाले पुत्र को जन्म दिया। जन्म से ही बालक में मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधि ज्ञान से युक्त थे।
उनका शरीर लगभग १५०० फुट ऊँचा है। राज कुमारी रुकमणी को उनकी पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जब भगवान राम के पिता राजा दशरथ का राज्य हमारी पृथ्वी पर था, उस समय महाविदेह क्षेत्र में भगवान सीमंधर स्वामी ने दीक्षा अंगीकार करके संसार का त्याग किया था। यह वही समय था, जब हमारी पृथ्वी पर बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी और इक्कीसवें तीर्थंकर श्री नेमीनाथ की उपस्थिति के बीच का समय था। दीक्षा के समय उन्हें चौथा ज्ञान उद्भव हुआ, जिसे मनःपर्यव ज्ञान कहते हैं। एक हज़ार वर्ष तक के साधु जीवन, जिसके दौरान उनके सभी घाती कर्मों का नाश हुआ, उसके बाद भगवान को केवलज्ञान हुआ।
भगवान के जगत कल्याण के इस कार्य में उनके साथ ८४ गणधर, १० लाख केवली (केवलज्ञान सहित), १० करोड़ साधु, १० करोड़ साध्वियाँ, ९०० करोड़ पुरुष और ९०० करोड़ विवाहित स्त्री-पुरुष (श्रावक-श्राविकाएँ) हैं। उनके रक्षक देव-देवी श्री चांद्रायण यक्ष देव और श्री पाँचांगुली यक्षिणी देवी हैं।
महाविदेह क्षेत्र में भगवान सीमंधर स्वामी और अन्य उन्नीस तीर्थंकर अपने एक करोड़ अस्सी लाख और ४०० हज़ार साल का जीवन पूर्ण करने के बाद में मोक्ष प्राप्ति करेंगे। उसी क्षण इस पृथ्वी पर अगली चौबीसी के नौवें तीर्थंकर श्री पोटि्टल स्वामी उपस्थित होंगे। और आँठवें तीर्थंकर श्री पेढाल स्वामी का निर्वाण बस हुआ ही होगा।

सीमंधर स्वामी मेरे लिए किस प्रकार हितकारी हो सकते हैं?
तीर्थंकर का अर्थ है, पूर्ण चंद्र! (जिन्हें आत्मा का संपूर्ण ज्ञान हो चुका है - केवलज्ञान) तीर्थंकर भगवान श्री सीमंधर स्वामी महाविदेह क्षेत्र में हाज़िर हैं। हमारी इस पृथ्वी (भरतक्षेत्र) पर पिछले २४०० साल से तीर्थंकरों का जन्म होना बंद हो चुका है। वर्तमान काल के सभी तीर्थंकरों में से सीमंधर स्वामी भगवान हमारी पृथ्वी के सबसे नज़दीक हैं और उनका भरतक्षेत्र के जीवों के साथ ऋणानुबंध है।
सीमंधर स्वामी भगवान की उम्र अभी १,५०,००० साल है। और वे अभी अगले १,२५००० सालों तक जीवित रहेंगे, अतः उनके प्रति भक्ति और समर्पण से हमारा अगला जन्म महाविदेह क्षेत्र में हो सकता है और भगवान सीमंधर स्वामी के दर्शन प्राप्त करके हम आत्यंतिक मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं।
सीमंधर स्वामी मुझे कैसे मदद रूप हो सकते हैं?
तीर्थंकर" का मतलब "पूर्णिमा का चंद्र" (शाश्वत व पूर्ण आत्मा का ज्ञान - केवलज्ञान)। तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी हाल में महाविदेह क्षेत्र में मौजूद है। हमारी पृथ्वी पर, यानी भरत क्षेत्र में, पिछले करीब २५०० वर्षों से तीर्थंकर का जन्म नहीं हुआ। हाल में मौजूद सभी तीर्थंकरों में से सीमंधर स्वामी हमारे सबसे नज़दीक है और उनका भरत क्षेत्र से ऋणानुबंध है और हमारे मोक्ष की उन्होंने ज़िम्मेदारी ली है।
सीमंधर स्वामी की आयु अभी डेढ़ लाख वर्ष की है और वे सवा लाख साल और जीनेवाले है। उनकी आराधना करके हम अगले भव में महाविदेह क्षेत्र में जन्म पाकर, उनके दर्शन करके आत्यंतिक मोक्ष पा सकते हैं।
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