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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823
35 जटाशंकर      - उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म . सा . जटाशंकर की माता सामायिक कर रही थी। दरवाजे के ठीक सामने ही उसने अपना आसन लगाया था। सामायिक लेकर वह माला हाथ में लेकर बैठ गयी थी। उसकी बहू पानी लेने के लिये कुएं पर जाने की तैयारी कर रही थी। तब नल घरों में लगे नहीं थे। बहूजी ने घडा हाथ में लिया... इंडाणी भी ले ली..। पर बहुत खोजने पर भी उसे पानी छानने के लिये गरणा नहीं मिला। उसने इधर से उधर पूरा कमरा छान मारा... पर गरणा नहीं मिला। सासुजी सामायिक में माला फेरते फेरते भी बहू को देख रही थी। वह समझ गयी थी कि बहू को गरणा नहीं मिला है। सासुजी को सामने ही गरणा नजर आ रहा था। पर बहू को नहीं दीख रहा था। सासुजी ने माला फेरते फेरते हूं हूं करते हुए कई बार इशारा किया। पर बहूजी समझ नहीं पाई। इशारा करते सासुजी को बहूजी ने देखा तो आखिर परेशान होकर कह ही दिया कि मांजी! अब आप बताही दो कि गरणा कहाँ रखा है? मुझे देर हो जायेगी पानी लाने में... फिर दिन भर के हर काम में देर होती ही रहेगी। सासुजी साधु संतों के प्रवचनों में जाने वाली थी। वह जानती थी कि सामायिक में सांसारिक वार्तालाप किया नहीं जाता। धार

31. नवप्रभात --उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.सा.

घर पुराना था। मालिक उसे सजाने के विचारों में खोया रहता था। पोल में एक पुरानी खटिया पडी थी। कुछ पैसे जुटे थे। वह एक अच्छा कारीगरी वाला लकडी का पलंग ले आया था। पुरानी खटिया को पिछवाडे में डालकर उसे कबाड का रूप दे दिया गया था। कमरे की शोभा उस पलंग से बढ गई थी। उस पर नई चादर बिछाई गई थी। रोजाना दो बार उसकी साफ सफाई होने लगी थी। बच्चों को उस पलंग के पास आने की भी सख्त मनाई थी। वह मालिक और परिवार उस पलंग को देखता था और सीना तान लेता था। घर आते ही पहले पलंग को देखता था। घर से जाते समय वह पीछे मुड मुड कर पलंग को देखा करता था। बच्चे उनके जाने की प्रतीक्षा करते थे। उनके जाने के बाद वह पलंग बच्चों की कूदाकूद का साक्षी बन जाता था। एकाध बार उन्हें पता चला तो बच्चों को मेथीपाक अर्पण किया गया था। पलंग को सजाने के लिये नये तकिये खरीदे गये थे। आस पास के लोग, पडौसी भी इस कलात्मक नये सजे संवरे पलंग को देखे, इस लिये उन्हें एक बाद चाय पर बुलाया गया था। पलंग के संदर्भ में उनके द्वारा की गई प्रशंसा को सुनकर चाय पानी में हुआ खर्च न केवल दिमाग से निकल गया था बल्कि वह खर्च उसे सार्थक लगा था। अपने सं

कत्लखाने भारत देश का कलंक है

कत्लखाने भारत देश का कलंक है पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी महाराज ने ता . 21 जुलाई 2012 श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ मुंबई द्वारा आयोजित प्रेस कान्फरेन्स में कहा - यह अत्यन्त पीडा और दु : ख की बात है कि भारत जैसे धर्म प्राण एवं सांस्कृतिक देश में और अधिक  आधुनिक बूचडखाने खोलने का आदेश सरकार द्वारा दिया जा रहा है। भारत देश ऋषि मुनियों का देश है। कोई भी धर्म हमें हिंसा नहीं सिखाता। क्या पशुओं को जीने का अधिकार नहीं है ! भारत देश जहाँ दूध घी की नदियाँ बहती थी। देश का पशुधन समाप्त हो रहा है। अन्य देश अपने देश के कत्लखाने बंद कर रहे हैं। और भारत देश केवल कुछ विदेशी मुद्रा में प्रलोभन में अपने यहाँ कत्लखानों को अनुमति दे रहा है। इससे भारत का पर्यावरण खतरनाक रूप से दूषित हो रहा है। पशुओं को भी जीने का उतना ही अिध्ाकार है , जितना मनुष्यों को ! जिस देश में भगवान महावीर ने अहिंसा का पाठ पढाया ! जिस देश में भगवान् बुद्ध ने करूणा

मंत्रीजी ने आशीर्वाद लिया

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मंत्रीजी ने आशीर्वाद लिया मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री श्री पारस जैन , उज्जैन पूज्य गुरूदेव उपाध्याय   श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . के दर्शनार्थ मुंबई पधारे। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ मुंबई द्वारा उनका हार्दिक अभिनंदन किया गया।

शिखरजी में चातुर्मास

शिखरजी में चातुर्मास पूजनीया पार्श्व मणि तीर्थ प्रेरिका साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म . सा . वर्धमान तपाराधिका श्री सुलक्षणाश्रीजी म . सा . आदि ठाणा की पावन निश्रा में श्री सम्मेतशिखरजी महातीर्थ पर चातुर्मास की आराधना त्याग तप जप व कई कार्यक्रमों के साथ भव्यता के साथ चल रही है। देश के कोने कोने से पधारे 200 से अधिक आराधक वहाँ आराधना कर रहे हैं।

श्री मनोहरजी कानूगो सम्मानित

श्री मनोहरजी कानूगो सम्मानित कई अग्रणी संस्थाओं से जुडे सांचोर निवासी श्री मनोहरजी कानूगो को भारत के राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित करते हुए उन्हें समाज रत्न पद प्रदान किया। यह सम्मान समाज के विभिन्न क्षेत्रों में दिये गये उनके द्वारा सहयोग के लिये अर्पित किया गया। श्री कानूगो जीतो , श्री जिनदत्त कुशल खरतरगच्छ पेढी आदि कई संस्थाओं के सक्रिय ट्रस्टी रह कर अपनी सेवाऐं संघ व शासन को अर्पित कर रहे हैं। श्री कानूगो श्री जैन श्वे . खरतरगच्छ संघ सांचोर के अध्यक्ष , श्री कुशल वाटिका बाडमेर के उपाध्यक्ष , श्री गज मंदिर केशरियाजी के उपाध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व निभा रहे हैं। सम्मानित करने पर देश की विभिन्न संस्थाओं व अग्रणी श्रावकों ने उन्हें भावभीनी बधाई दी है। मूल सांचोर व वर्तमान में मुंबई में व्यवसाय रत श्री कानूगो सौम्य और सहयोगी स्वभाव के धनी है। उन्होंने अपनी लक्ष्मी का उपयोग जन हित व शासन हित में उदारता के साथ किया व कर

दुर्ग में ठाट लगा

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दुर्ग में ठाट लगा पूज्य ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक मुनिश्री मनोज्ञसागरजी म . सा . पू . मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी म . पू . मुनि श्री नयज्ञसागरजी म . की पावन निश्रा में छत्तीसगढ प्रान्त के दुर्ग नगर में चातुर्मास की आराधना अत्यन्त आनन्द व उल्लास के साथ चल रही है। प्रवचन में भारी भीड उपस्थित रहती है। प्रतिदिन दोपहर में स्वाध्याय की कक्षा में अध्यात्म - रसिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। सिद्धि तप आदि बडी तपश्चर्याऐं बडी संख्या में दुर्ग नगर के इतिहास में पहली बार हो रही है।

सिवाना- अहमदाबाद से चलेगी ललवानी एक्सप्रेस

मूल सिवाना निवासी श्रीमती बक्सु देवी विरधीचंदजी ललवानी परिवार के श्री माणकचंदजी शांतिलालजी दिलीपकुमारजी ललवानी परिवार की ओर से श्री सम्मेतशिखरजी आदि पूर्व भारत के तीर्थों की यात्रा हेतु स्पेश्यल ट्रेन हेतु संघ का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शुभ मुहूर्त्त प्राप्त करने के लिये ललवानी परिवार अपने रिश्तेदारों , मित्रों के साथ गाजते बाजते पूज्यश्री की सेवा में ता . 22 जुलाई 2012 को पहुँचा। पूज्यश्री ने 21 दिसम्बर 2012 का सिवाना से तथा 23 दिसम्बर 12 का अहमदाबाद से प्रयाण का शुभ मुहूर्त्त प्रदान किया। जिसे श्रवण कर ललवानी परिवार हर्ष से नृत्य करने लगा। इस अवसर पर पूज्यश्री ने फरमाया - शास्त्रों में तो छहरी पालित संघ का विधान है। आपको यह शुभ मुहूर्त्त इस संकल्प के साथ प्रदान किया जा रहा है कि पाँच वर्षों के भीतर आपको छहरी पालित संघ का लाभ लेना है। आप तीर्थों की यात्रा करने जा रहे हैं। वह यात्रा निर्दोष हो , रात्रि भोजन का सर्वथा त्याग हो , सामायिक

सिवाना में चातुर्मास का ठाट

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सिवाना में चातुर्मास का ठाट सिवाना उम्मेदपुरा में पूज्य धवलयशस्वी साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म . सा . की शिष्या पूजनीया साध्वी श्री हेमरत्नाश्रीजी म . जयरत्नाश्रीजी म . नूतनप्रियाश्रीजी म . ठाणा 3 का चातुर्मास आराध्ाना आदि के साथ चल रहा है। प्रवचनों में श्रावक श्राविकाओं की अनुमोदनीय उपस्थिति रहती है। पिछले दिनों श्री नेमिनाथ प्रभु के जन्म व दीक्षा कल्याणक के अवसर पर नाटिका का आयोजन किया गया। जिसे खूब सराहा गया।

श्री गौडी पार्श्वनाथ मूर्तिपूजक संघ सांचोर के ट्रस्टियों का स्वागत

श्री गौडी पार्श्वनाथ मूर्तिपूजक संघ सांचोर के ट्रस्टियों का स्वागत कांति मणि नगर , मुंबई ! पूज्य गुरूदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ मुंबई द्वारा श्री जैन श्वेताम्बर गौडी पार्श्व नाथ मूर्तिपूजक संघ पेढी के ट्रस्टियों का भावभीना अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर प्रवचन फरमाते हुए पूज्य उपाध्यायश्री ने फरमाया - आप सभी पुण्यशाली है कि वीतराग परमात्मा के शासन की सेवा का आपको अनूठा अवसर उपलब्ध हुआ है। यह ध्यान में लें कि अध्यक्ष , महामंत्री , कोषाध्यक्ष , ट्रस्टी बहुमानवाची पद नहीं है , अपितु जिम्मेदारी भरा पद है। ये पद नहीं बल्कि जिम्मेदारी हैं। ट्रस्टी को चाहिये कि वह अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से उपर उठकर शासन और संघ के हित में कार्य करे। संघ सर्वोपरि है। हमें संघ की सेवा करने के लिये अपने समस्त स्वार्थों का त्याग करना है। मेरा निवेदन है कि आप सकल संघ को साथ लेकर चले। सभी के प्रेम को संप

इचलकरंजी समाचार

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इचलकरंजी समाचार पूजनीया धवल यशस्वी गुरूवर्या श्री विमलप्रभाश्रीजी म . सा . आदि ठाणा का चातुर्मास अत्यन्त हर्ष उल्लास , आराधना व शासन प्रभावना के साथ गतिमान है। मणिधारी भवन में चल रहे इस चातुर्मास में सकल श्री संघ लाभ प्राप्त कर रहा है। प्रवचन के अलावा सोमवार से शुक्रवार तक जीवविचार तत्वज्ञान की कक्षा चल रही है। शनिवार को महिलाओं का तथा रविवार को बच्चों का शिविर आयोजित किया जाता है। सिद्धि तप आदि तपश्चर्या चल रही है। श्री नेमिनाथ परमात्मा के जन्म कल्याणक के अवसर पर नाटिका का भव्य आयोजन किया गया।

उदघाटन संपन्न

उदघाटन संपन्न पूज्य गुरूदेव उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . के चातुर्मास स्थल कपोलवाडी को कान्ति मणि नगर नाम दिया गया है जिसके उदघाटन का लाभ मूल गढ सिवाना वर्तमान में अहमदाबाद निवासी संघवी श्री अशोककुमारजी मानमलजी भंसाली परिवार द्वारा लिया गया। अतिथि गणों की साधर्मिक भक्ति हेतु गुरू गौतम नगर का नामकरण किया गया। जिसका लाभ गढ सिवाना - अहमदाबाद निवासी संघवी शा . वंसराजजी कुशलकुमारजी भंसाली द्वारा लिया गया। प्रवचन मंडप का नामकरण श्री जिनदत्त सुखसागर प्रवचन मंडप रखा गया , जिसके उदघाटन का लाभ गढ सिवाना - अहमदाबाद - मुंबई निवासी संघवी शा . चौथमलजी सुरेशकुमारजी जयन्तिलालजी भंसाली परिवार द्वारा लिया गया। इन तीनों नगरों का भव्य उदघाटन ता . 8 जुलाई 2012 रविवार को अत्यन्त आनन्द व उल्लास के साथ संपन्न हुआ।

धूलिया में शासन प्रभावना

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महाराष्ट्र प्रान्त के धूलिया शहर में पूजनीया गुरूवर्या खान्देश शिरोमणि श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म . सा . पू . मयणरेहाश्रीजी म . पू . विरागज्योतिश्रीजी म . पू . विश्वज्योतिश्रीजी म . पू . जिनज्योतिश्रीजी म . ठाणा 5 का चातुर्मास त्याग तप साधना आराधना के साथ चल रहा है। पूज्या साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म . सा . के प्रभावशाली प्रवचनों को श्रवण करने के लिये भीड उमड पडती है। काँलेज आदि में आपके प्रवचनों ने संस्कारों का अनूठा वातावरण खडा किया है। तपश्चर्या के साथ साथ कई पारिवारिक , सामाजिक शिविर आदि का आयोजन चल रहा है।

बाडमेर की कुशल वाटिका का कार्य प्रगति पर

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बाडमेर - अहमदाबाद मुख्य मार्ग पर चौहटन निवासी श्री आसुलालजी डोसी परिवार द्वारा समर्पित 150 बीघा विशाल भूखण्ड पर कुशल वाटिका कार्य प्रगति पर है। पूजनीया बहिन म . डाँ . विद्युत्प्रभाश्रीजी म . सा . की पावन प्रेरणा से बन रही यह कुशल वाटिका शिक्षा जगत को समर्पित है। पूजनीया बहिन म . ने एक सपना देखा था कि समाज में जब तक संस्कार युक्त शिक्षा का वातावरण नहीं बनेगा , तब तक भावी पीढी में धर्म की स्थापना नहीं हो सकती। इसी सपने को साकार करने के लिये ट्रस्ट मंडल अथक प्रयास कर रहा है। योजना के अन्तर्गत स्कूल की आलीशान बिल्डींग तैयार होकर शिक्षा प्रारंभ हो चुकी है। गत वर्ष से प्रारंभ इस स्कूल में अभी 400 छात्र अंग्रेजी माध्यम से संस्कारी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मात्र एक वर्ष में इस स्कूल ने शहर में अपनी विशिष्ट छाप अंकित की है। कुशल वाटिका में जिन मंदिर , दादावाडी , धर्मशाला , उपाश्रय , प्रवचन हाँल , भोजनशाला , कार्यालय , प्याऊ , संघ भवन , आयंबिल भवन