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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

हमारा धर्म " जैन "  तो  " जाती " कौनसी ?

हमारे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिये.... जागो..... जैनों..... जागो            हमारा धर्म " जैन "  तो  " जाती " कौनसी ? सभी जैन धर्मी भाईयों, बहनों तथा युवा साथियों सादर जय जिनेन्द्र.... जैन यह एक " स्वतंत्र धर्म " है,                  हिन्दु यह भी एक स्वतंत्र धर्म है । जैन यह हिन्दु नहीं है .............                     यह हमें "राष्ट्रीय अल्पसंख्यक धर्म " का दर्जा मिलने से साबीत हो चुका है। हमारे द्वारा भूतकाल में हुई गलतियाँ फिर से वर्तमान और भविष्य काल में ना हो। इसलिए...... आगे हमें धर्म की जगह सिर्फ   " जैन " ही लिखना है। सिर्फ " जैन " ही लिखना है। जन्म दाखला (ग्राम पंचायत,नगर पालिका, महानगरपालिका ) स्कुल में दाखला (Admission) करते वक्त या स्कुल छोडते (Leaving ,TC ) वक्त हमारे धर्म, जाती के बारे में हमारे सबुत, दस्तावेज ,सहमती से या पुछ कर ही लिखा जाता है। स्कुल रजिस्टर में धर्म, जाती सही लिखी गई है क्या? खुद जाॅच कर देखे (बहुत से स्कुल वाले हमें पुछे बगैर ही अपनी मजीॅ से स्कुल रजिस्टर में गलत जा

Nice HEART touching STORY

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय " हमें याद आती है । दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ... उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बड़ी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई? हाँ ... आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये. धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये , फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी न

जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिला

जैन समुदाय को अब अल्पसंख्यक का दर्जा मिल गया है. 20 . 01 . 2014 को इसकी मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने दे दी. . जैन समुदाय के अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त होने से  लाभ . 1) जैन धर्म की सुरक्षा होगी। . 2) जैन धर्म की नैतिक  शिक्षा पढ़ाई कराने का जैन स्कूलो को अधिकार . 3) कम ब्याज पर लोन, व्यवसाय व् शिक्षा तकनिकी हेतु उपलब्ध होंगे। . 4) जैन कोलेजो में जैन बच्चो के लिए 50 % आरक्षित सीट होगी। . 5) जैन समुदाय में अल्पसंख्यक घोषित होने से सविधान के अनुच्छेद 25 से 30 के अनुसार जैन समुदाय धर्म, भाषा,संस्कृति की रक्षा सविधान में उपलब्धो के अंतर्गत हो सकेगी। . 6) जैन धर्मावलंबियो के धार्मिक स्थल, संस्थाओं, मंदिरों, तीर्थ, क्षेत्रो एव ट्रस्ट का सरकारी करण या अधिग्रहण आदि नही किया जा सकेगा अपितु धार्मिक स्थलों का समुचित विकास एव सुरक्षा के व्यापक प्रबंध शासन द्वारा भी किए जायेंगे। . 7) उपासना स्थल अधिनियम 1991 ( 42आक- 18-9-91) के तहत किसी धार्मिक उपासना स्थल बनाए रखने हेतु स्पष्ट निर्देश जिसका उलघ्घन धरा 6(3) के अधीन दंडनीय अपराध है । . 8) पुराने स्थलों एव पुरातन धरोहर को सुरक्षित रखना  स

Makar sankranti Uttrayan me patang bazi mein maare gaye kabutar aur anya pakshiyo ko surat evam ahmedabad k jiv daya ka sangh antim yatra karvate huye Birds ki aatma ko shanti mile....

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Uttrayan me patang bazi mein maare gaye kabutar aur anya pakshiyo ko surat evam ahmedabad k jiv daya ka sangh antim yatra karvate huye Birds ki aatma ko shanti mile....

" बकरा ईद " और " मकर सक्रान्ति " मे क्या फर्क है ?

मित्रो इस मैसेज को आप जरूर पढ़े और सब तक पहुचाएं :- एक सवाल " बकरा ईद " और " मकर सक्रान्ति " मे क्या फर्क है ? जवाब तो यही कि " बकरा ईद " मुस्लिमो का त्यौहार है , और " मकर सक्रान्ति " हिन्दुओं का त्यौहार है |               लेकिन बकरा ईद पर जीव हिंसा होती है , इसीलिए मुस्लिम मनाते है | तो क्या मकर सक्रान्ति पर जीव हिंसा नही होती है  ? मित्रो अब आप सोचिए हमारे मे और मुस्लिमो मे अब क्या फर्क रह गया है | हम मकर सक्रान्ति को एक दिन की खुशी के लिए कितने पक्षीयो की हिंसा करते है , क्या आपको मालूम है ? हम पहले भी मकर सक्रान्ति मनाते थे तब हम घर पर तिल के लड्डू खाते - खिलाते और इस दिन निरीह जीव सेवा करते थे | अब हम थोड़ी खुशी के लिए पतंग उड़ाकर जब घर चले जाते है और टूटा मांजा ( धागा ) पेड़ो व तारो पर इधर उधर लटका रहता है | पक्षी बेचारे नासमझ कि घोंसले बनाने के काम आएगा पर उनको क्या पता कि ये फांसी का फंदा है और फंस जाते है या इनके पंख कट जाते है | मित्रो आपसे हमारी इतनी ही विनती है कि आप कोई पतंग ना उड़ाए , उन पक्षीयो को आज़ादी से उड़ने दे |

EK KABOOTAR MUJHSE BOLA कबूतर की मार्मिक बात के लिए click करे

EK KABOOTAR MUJHSE BOLA MERE PANKH TOOT JATE HAI JAB TUM PATANG UDATE HO HUME TO PATANG K DHAAGO SE MAAR DETE HO AUR TUM KATLKHANE SE DUSRE JEEVO KO CHUDATE HO  AISA KIS DHARAM ME LIKHA HAI KI EK KO JINDAGI AUR EK KO MOUT DE DO PATANG NA UDAKAR TUM CHAHO TO HUMARI DUA LE LO  TUMHE TO PATANG UDAANE ME MAZA AATA HAI MAGAR BEKASOOR KABOOTAR KIS BAAT KI SAZA PATA HAI  TUM CHAHO TO HUME BAJRI JWAAR CHANA NA DAALO AUR NA DO HUME KOI DAANA BAS ITNI GUJARISH HAI DOSTO KI IS SANKRANTI PE PATANG NA UDANA तू मने इंसान जीवन दान आपि दे.... आसमां में एक ऊँची उड़ान आपि दे..!! हु जिवु छू आसमां में पंख लहरा कर, कट रहे मेरे पंख पतंगों से टकरा कर, लहुलुहान म्हारी आत्मा ने सम्मान आपि दे. तू मने इंसान जीवन दान आपि दे..!! क्या मिलेगा कुछ क्षणों में पतंग लहरा कर.. जा दान कर सकरात को पुन्य कमा कर.. नुकीले धागों से पंछियों को मेहरबान आपि दे... तू मने इंसान जीवनदान आपि दे...!!

जैन समाज के शिखर पुरुष ‘जैन पद्म श्री’ विभुषित श्री दीपचंदजी गार्डी आज हमारे बिच नहीं रहे

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जैन समाज के शिखर पुरुष  'जैन पद्म श्री ' विभुषित  श्री दीपचंदजी गार्डी  आज हमारे बिच नहीं रहे . ईश्वर उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करे . JAHAJ MANDIR उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान करते है...

जैन एकता की अनूठी मिसाल

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महासमुन्द से श्री शिखरजी महातीर्थ पद यात्रा संघ का ऐतिहासिक आयोजन परम पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य पूज्य मुनिराज ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक वशीमालानी रत्न शिरोमणि बकेला तीर्थोद्धारक मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी म . सा . की परम पावन प्रेरणा से छत्तीसगढ से प्रथम बार श्री सम्मेतशिखरजी महातीर्थ का छह री पालित पद यात्रा संघ का ऐतिहासिक आयोजन प्रारंभ है।

साधु साध्वी समाचार

पूज्य   गुरुदेव   उपाध्याय   श्री   मणिप्रभसागरजी   म . सा .  पूज्य   मुनि   श्री   मेहुलप्रभसागरजी   म .  ने    पालीताना  नवाणुं   यात्रा   के   आयोजन   माला   विधान   के   पश्चात्   ता . 30  दिसम्बर   को   शुभ   मुहूत्र्त   में   विहार   किया   है।   वे धंधुका   होते   हुए   ता . 6  जनवरी  2014  अहमदाबाद   पधारें।   ता . 7  को   विहार   कर   ता . 16  जनवरी   तक हाडेचा   पधार   कर   ता . 17  जनवरी   को   चितलवाना   में   नगर   प्रवेश   करेंगे। 0 पूज्य मुनि श्री मुक्तिप्रभसागरजी म . पूज्य मुनि श्री मनीषप्रभसागरजी म . पालीताना से 20 दिसम्बर को विहार कर ता . 31 दिसम्बर को अहमदाबाद पधारे हैं। दो दिनों की स्थिरता के पश्चात् विहार कर चितलवाना पधार कर छहरी पालित संघ में सम्मिलित होंगे।

पालीताना में श्री कुंथुनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा संपन्न

तलेटी के पास बने श्री जिनेश्वरसूरि खरतरगच्छ भवन परिसर में नवनिर्मित श्री कुंथुनाथ जिन मंदिर , नवग्रह मंदिर एवं दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . आदि की पावन निश्रा में ता . 7 दिसम्बर मिगसर सुदि 5 को अत्यन्त आनंद व हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई।

जटाशंकर - उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.

जेल की सजा काटकर जब जटाशंकर बाहर आया तो उसके मित्र घटाशंकर ने उससे पूछा - क्या हुआ था ! जेल क्यों गये ! ऐसा क्या काम किया , जो तुम्हें जेल जाना पडा ! चोरी की थी क्या ! चोरी करते पकडे गये क्या ! - ना ना ! जुकाम के कारण पकडा गया !

नवप्रभात - उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.

नवप्रभात        - उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. हमारी जिन्दगी का समय केवल और केवल प्रतीक्षा में बीतता है। दिन में हम रात की प्रतीक्षा करते हैं। और रात होने पर दिन की प्रतीक्षा में रात गुजार देते हैं। न दिन को अच्छी तरह देख पाते हैं ... न रात को ! यह खेल मन का है। वह वहाँ रहना नहीं चाहता , जहाँ होता है। वह सदा आगे पीछे , दांयें बांयें , इधर उधर , उफपर नीचे झांकता रहता है। उसे सीधी नजर में कोई रस नहीं होता।