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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Navpad Oli 8th day संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए !

नवपद ओलीजी का आज आठवां दिन
चारित्र पद की आराधना
आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए !
संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र !
बिना इसके कोई नही जा सकता है
वह चारित्र 2 प्रकार का -
1 देश विरति ( श्रावक जो छोटे नियम व्रत का पालन करता है)
2 सर्व विरति (साधू जो 5 महाव्रत का पालन करता है)
राग और चारित्र में कट्टर शत्रुता है,  दोनों में से कोई 1 ही रह सकता है!
हमारे हृदय में राग इतना जोरदार चिपक गया है । वैराग्य भाव टिक नहीं रहा है।
चारित्र के लिये राग नहीं, वैराग्य चाहिए।

विषयों का राग जब कम होता है तभी चारित्र की आराधना सरल रूप से हो सकती है।
चारित्र यानि अशुभ क्रियाओ का त्याग और शुभ क्रियाओ का अप्रमत्त रूप से पालन।
और वही चारित्र कर्मक्षय का कारण है।
निज भावों में रमण करना भी चारित्र कहलाता है।
चारित्र के स्वीकार से रंक व्यक्ति भी वंदनीय हो जाता है।
चारित्री तीनो लोको के लिए पूज्य बन जाता है।
भिखारी ने भोजन के लोभ में दीक्षा ली। वो1 दिन के चारित्र पालन से मरकर राजा बना। और सम्प्रती राजा बनकर जैन धर्म की विशाल प्रभावना की ।
ऐसे महाप्रभावशाली चारित्र पद को और चारित्र पालन करने वालो को हमारी अनंतशः वंदना ..

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