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JinManiPrabhSuri |
पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 6 एवं आगम ज्योति प्रवर्तिनी श्री प्रमोदश्रीजी म. की शिष्या पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म., बहिन म. डाँ. विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा 5 का दुर्ग नगर में ऐतिहासिक चातुर्मास संपन्न हो रहा है। श्री संघ की भक्ति, सेवा अनुमोदनीय है। उनका पुरूषार्थ अनुकरणीय है।
पूज्यश्री के प्रवचनों में सभी पंथों के लोग सम्मिलित हो रहे हैं। 15 हजार वर्गफीट के विशाल पाण्डाल में रविवार को जरा भी जगह नहीं रहती।
प्रतिदिन मुनिश्री मनितप्रभसागरजी म.सा. दो पाठ देते है। प्रात: 6.15 से 7.00 बजे तक पूज्यश्री प्रशमरति पर वांचना देते हैं। तथा प्रवचन के पश्चात् 10.00 से 10.45 तक द्वितीय कर्मग्रन्थ का स्वाध्याय चलता है। दोनों ही कक्षाओं में स्वाध्यायियों की अच्छी उपस्थिति रहती है।
हर शुक्रवार को संगीतमय वंदनावली का कार्यक्रम होता है। जिसमें विवेचन पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. करते है। इन दिनों अठारह पाप स्थानकों की आलोचना का कार्यक्रम चल रहा है।
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