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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Navpad Oli परमात्मा ने जो कहा है, गणधर भगवन्तो ने रचना की है वही सच्चा और निःशंक ज्ञान है।

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आज नवपदजी ओली का 7वां दिन ज्ञान पद की आराधना का दिन संसार में जो भी दुःख है, वो सब हमारे अज्ञान के कारण है । ज्ञान के अभाव में हम देव गुरु और धर्म की पहचान नही कर पा रहे है। उसी कारण हमारा चार गति में भटकना जारी है । ज्ञान के अभाव में जो ग्रहण करना चाहिए उसे हम छोड़ देते है, तुच्छ चीजों को पकड़ के रखते है, सही और गलत का निर्णय भी हम अज्ञान के कारण नही कर पा रहे है । संसार छोड़ने के लिए है । संयम पालन के लिये है ।

Navpad oli श्री नवपद शाश्वत ओली आराधना... छठा दिवस : सम्यग् दर्शन गुण की आराधना..

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श्री  नवपद  शाश्वत  ओली  आराधना... छठा दिवस : सम्यग् दर्शन गुण की आराधना.. सम्यग् दर्शन पद की आराधना के लिए उसके बारे में जानना आवश्यक है। महान् दर्शन पद की आराधना का दिन पिछले 5 दिन तक हमने देव और गुरु तत्त्व की आराधना की, समझी । आज से धर्म तत्त्व की आराधना। धर्म को प्राप्त करके ही धर्मी बना जा सकता है। धर्म तत्त्व में पहला है सम्यग् दर्शन। सम्यग् दर्शन के बिना सभी प्रकार का ज्ञान मिथ्या ज्ञान कहलाता है। किसी भी प्रकार की क्रिया मिथ्या कहलाती है। इसलिए सबसे जरुरी और मुख्य तत्त्व है सम्यग् दर्शन।

Navpad Oli 5th day साधू जीवन, जगत के लिए आश्चर्य रूप है।

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sadhu pad, jain sadhu, jain muni, साधू पद की आराधना का दिन  आज नवपद ओलीजी का पांचवा दिन साधको की साधना में सदा सहायता करने वाले , अप्रमत्त गुण के धारक , लोक में रहे हुए सभी साधू भगवंतों को हमारी भाव पूर्वक वन्दना । साधू पद का वर्णन साधना करे वो साधू , मौन रखे वो मुनि स्वयं के मन पर नियंत्रण रखे वह साधू कोई भी वचन व्यर्थ का उच्चरित न हो , ऐसा ध्यान रखने वाले। कोई प्रवृत्ति विरुद्ध न हो जाये इसकी जागरूकता रखने वाले। साधू जीवन , जगत के लिए आश्चर्य रूप है। http://www.jahajmandir.org/

Navpad Oli नवपद ओलीजी का आज चौथा उपाध्याय पद की आराधना का दिन

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नवपद ओलीजी का आज चौथा दिन। उपाध्याय पद की आराधना का दिन। http://www.jahajmandir.org/ तपस्वियों के शाता हो ऐसी दादा गुरुदेव से प्रार्थना।। उपाध्याय यानि शिष्यों के पठन पाठन की जिम्मेदारी, विनय की प्रतिमूर्ति, निश्रावर्ति सभी साधुओ को संयम मार्ग में स्थिर करने का महान कार्य।। आचार्य शासन को चलाता है तो उपाध्याय संघ को।। जिस वाणी को तीर्थंकरो ने कहा है उस वाणी को उपाध्याय पदधारी हमे सुनाते है।। योग्य आत्मा को वात्सल्य, समझ, स्नेह देकर उसे धर्म में रत करना - यह उनकी जिम्मेदारी है।

Navpad Oliji 3rd day Achary pad आज नवपद ओलीजी का तीसरा दिन

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आज नवपद ओलीजी का तीसरा दिन। आचार्य पद की आराधना का दिन। 9 पदों में किसी भी व्यक्ति विशेष को वंदना नही की गयी है। जो जो आत्मा उन उन महान गुणों तक पहुँचे है उन सभी गुणीजनों को एक साथ वंदना की गयी है। @ आचार्य पद को नमन  शासन की स्थापना अरिहंत परमात्मा करते हे सिद्ध परमात्मा को नमन कर के.. अरिहंत परमात्मा की अनुपस्थिति मेँ आचार्य भगवंत जिन शासन का प्रतिनिधित्व करते हे।। साधु साध्वी श्रावक श्राविका आदि चतुर्विध संघ का निर्वहन करते हे। सिद्ध प्रभु ने हमको निगोद से बाहर निकाला। अरिहंत प्रभु ने हमको धर्म का उपदेश दिया। वीर प्रभु के निर्वाण से आज तक 2500 साल हुए हैं। और परमात्मा का शासन 18500 वर्ष तक चलेगा । इतने लंबे समय तक शासन को आचार्य भगवंत चलाएंगे।

navpad oli ओलीजी आराधना...उन पवित्र आत्माओं को सिद्ध कहा जाता है। जिन आत्माओ ने खुद के ऊपर लगे हुए सभी कर्मों का क्षय कर दिया हो। जो संसार के बंधन से मुक्त हो गए है। जो कभी जन्म नही लेंगे। जिनकी कभी मृत्यु नही होगी, जिनका कोई शरीर, मन नही है।

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navpad oli  आज नवपद ओलीजी का दूसरा दिन सिद्ध पद की आराधना का दिन 9 पदों में किसी भी व्यक्ति विशेष को वंदना नही की गयी है। जो जो आत्मा उन उन महान गुणों तक पहुँचे है उन सभी गुणीजनों को एक साथ वंदना की गयी है। नमो सिद्धाणं।।। सिद्ध प्रभु का परिचय जिन आत्माओ ने खुद के ऊपर लगे हुए सभी कर्मों का क्षय कर दिया हो। जो संसार के बंधन से मुक्त हो गए है। जो कभी जन्म नही लेंगे। जिनकी कभी मृत्यु नही होगी, जिनका कोई शरीर, मन नही है। उन पवित्र आत्माओं को सिद्ध कहा जाता है।

Navpad Oli Detail नवपद ओली आराधना... अगर अरिहंत नही होते तो करुणा का इतना प्रचार नही होता।।। धर्म का ज्ञान नही होता।।। शासन की स्थापना नही होती।।।

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Navpad Oli Detail जैन जगत में नवपद की महिमा अपरंपार है ! नवपद : 1.अरिहंत 2. सिद्ध 3. आचार्य 4. उपाध्याय 5. साधु  6.दर्शन  7. ज्ञान 8. चारित्र 9. तप !! यह आराधना वर्ष में दो बार आयंबिल तप के द्वारा की जाती है ! 1. चैत्र सुदी 7 से 15 ( पूनम ) 2. आसोज सुदी 7 से 15 तक ! http://www.jahajmandir.org/ नवपद ओली आराधना का प्रारंभ आसोज माह से किया जाता है, एवं कुल 9 ओली अर्थात् चाढ़े चार वर्ष तक कुल 81 आयंबिल के साथ यह तप पूर्ण होता है ! नवपद आराधना में आज प्रथम पद में अरिहंत पद की आराधना की जाती है अरि यानि शत्रु हंत यानि नाश करने वाले... शत्रुओ का नाश करने वाले अरिहंत कहलाते है... अरिहन्त अपने कर्म रूपी शत्रु का नाश करते है... अगर अरिहंत नही होते तो करुणा का इतना प्रचार नही होता।।। धर्म का ज्ञान नही होता।।। शासन की स्थापना नही होती।।।

Rajgir Veeraytan राजगीर वीरायतन में जन्म कल्याणक महोत्सव

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Rajgir Veeraytan  परमात्मा श्री  मुनिसुव्रत स्वामी जी भगवान के चार कल्याणक और परमात्मा महावीर स्वामीजी के 14 चातुर्मास से परम पवित्र बनी धरती स्वर्ग से भी सुन्दर राजगृही महातीर्थ खरतरगच्छ अधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराजा एवं संघरत्ना माताजी म सा एवं बहिन मसा साध्वी डॉ श्री विद्युत प्रभा श्रीजी मसा आदि साधू साध्वीजी की क्षेमंकरी पावन निश्रा में राजगृही नगरी में आचार्य चंदनाजी द्वारा स्थापित वीरायतन में नव निर्मित श्री पारसनाथजी जिन मंदिरजी की भव्यातिभव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारम्भ हो चुकी है। अंजनशलाका प्रतिष्ठा 17 फरवरी 2017 को होगी । 56 दिक् कुमारिकाओ सह आज परमात्मा पार्श्वनाथ जी का जन्म कल्याणक भव्यता के साथ मनाया ।   Rajgir Veeraytan 

Gunaya Tirth श्री गुणायाजी तीर्थ का जीर्णोद्धार होगा

श्री जैन श्वेताम्बर भंडार तीर्थ पावापुरी ट्रस्ट मंडल द्वारा लिये गये निर्णयानुसार भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर अनंत लब्धि निधान गुरु गौतमस्वामी की केवलज्ञान प्राप्ति भूमि श्री गुणायाजी तीर्थ का आमूलचूल जीर्णोद्धार कराया जायेगा। इसी पावन भूमि पर परमात्मा महावीर के समवशरण लगे थे। यह भूमि गुणशील चैत्य कहलाती थी। यह जीर्णोद्धार पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में उनकी प्रेरणा से संपन्न होगा। जीर्णोद्धार का प्रारंभ 23 फरवरी 2017 को पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री की निश्रा में होगा।

Gunaya Tirth श्री गुणायाजी तीर्थ में नवनिर्मित धर्मशाला का उद्घाटन संपन्न

पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनिराज श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 3 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पू. बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पू. साध्वी डाँ. श्री शासनप्रभाश्रीजी म. पू. साध्वी डाँ. श्री नीलांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री विभांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री विज्ञांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री आज्ञांजनाश्रीजी म. ठाणा 11 की पावन निश्रा में गौतमस्वामी गणधर भगवंत की केवलज्ञान प्राप्ति भूमि श्री गुणायाजी तीर्थ पर नवनिर्मित विशाल धर्मशाला- प्रवर्तिनी प्रमोदश्री धर्मशाला का उद्घाटन समारोह श्री जैन श्वेताम्बर भंडार तीर्थ पावापुरी के तत्वावधान में सानन्द संपन्न हुआ। इस पावन अवसर पर पावापुरी की ओर विहार करते हुए पधारे पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी म.सा. का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मशाला का उद्घाटन मुख्य लाभा

Khartargacch Yuva Parishad अखिल भारतीय खरतर गच्छ युवा परिषद् द्वारा वांचना शिविर का आयोजन

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Khartargachchh Yuva Parishad अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद् के तत्वाधान में   श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ के प्रांगण में ऐतिहासिक त्रिदिवसीय वांचना शिविर 7 जनवरी से 9 जनवरी 2017 को   खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीजी म . सा . की क्षेमंकरी निश्रा में अत्यंत ही हर्षोउल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन का लाभ गढ़ सिवाना (हाल अहमदाबाद) निवासी श्रीमान अशोककुमारजी मानमलजी भंसाली परिवार ने लिया। इस शिविर में 250 से अधिक स्वाध्याय प्रेमी श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया। वांचना शिविर के पहले दिन सम्मेतशिखरजी तीर्थ के राजेंद्र भवन से गुरुदेव ने सभी शिविरार्थी व लाभार्थी परिवार के साथ गाजते बाजते मधुबन श्वेताम्बर जैन सोसाइटी के रांका भवन के व्याख्यान हाल में प्रवेश किया। दीप प्रवज्जलन के पश्चात K युप का राष्ट्रीय गान हुआ। तत्पश्चात स्वागत भाषण में शिविर के लाभार्थी व K युप के चैयरमैन श्री अशोक जी भंसाली ने सभी को शिविर में पधारने की बधाई दी वरघोड़े की भव्यता देख अशोकजी ने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है जैसे हम चतुर्विध संघ का छरीपालित संघ लेकर आये है। K युप के राष्ट्रीय अध्यक्ष रतन

shri Kshamakalyan mahopadhyay क्षमाकल्याणजी कृति संग्रह का अनेक स्थानों पर विमोचन संपन्न

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shri Kshamakalyan mahopadhyay पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुसार अखिल भारत में पूज्य विद्वद् शिरोमणि महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज की 200 वीं पुण्यतिथि पौष वदि चतुर्दशी, दिनांक 28 दिसंबर 2016 आराधना, गुणानुवाद, स्नात्र पूजा, दादा गुरुदेव की पूजा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज द्वारा रचित 119 कृतियों की संकलित पुस्तकें ‘क्षमाकल्याणजी कृति संग्रह भाग प्रथम ’ और ‘क्षमाकल्याणजी कृति संग्रह भाग द्वितीय’ का विमोचन भी किया गया। कृति संग्रह का संपादन-संकलन पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज के आशीर्वाद से उनके शिष्य आर्य मेहुलप्रभसागरजी महाराज द्वारा किया गया।  जोधपुर श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ जोधपुर के तत्वावधान में पूज्य आचार्यदेव श्री जिनकांतिसागरसूरिजी महाराज के शिष्य-प्रशिष्य पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म. व पूज्य मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म. की पावन निश्रा में सरदारपुरा स्थित दादावाडी में श्री क्षमाकल्याणजी महाराज की गुणानुव

Bikaner बीकानेर में द्विशताब्दी महोत्सव 6 जनवरी से

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shri Kshamakalyan mahopadhyay पूज्य महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी म.सा. के द्विशताब्दी स्वर्गारोहण पर्व के पावन उपलक्ष्य में उनकी समाधि भूमि बीकानेर नगर में ता. 6 से 8 जनवरी 2017 तक त्रिदिवसीय भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।  पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञा व आशीर्वाद से उनकी आज्ञानुवर्तिनी पूजनीया गुरुवर्या श्री हेमप्रभाश्रीजी म.सा. की शिष्या पूजनीया साध्वी श्री कल्पलताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा में यह आयोजन संपन्न होगा। इस आयोजन के अन्तर्गत ता. 6 जनवरी को सुगनजी के उपाश्रय में गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा। यह ज्ञातव्य है कि इस उपाश्रय का निर्माण पूज्य क्षमाकल्याणजी म.सा. की प्रेरणा से ही संपन्न हुआ था। इस सभा के मुख्य अतिथि नगर विकास न्यास के अध्यक्ष श्री महावीरजी रांका होंगे। अध्यक्षता बीकानेर के महापौर श्री चौपडाजी करेंगे। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री पन्नालालजी खजांची व मंत्री श्री शांतिलालजी सुराणा ने बताया कि इसी दिन पूज्य क्षमाकल्याणजी म. द्वारा रचित एवं आर्य श्री

Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj पद्मश्री विभूषित पुरातत्त्वाचार्य मुनि जिनविजयजी का मंतव्य-

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Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज के गुणानुवाद स्वरुप पद्मश्री विभूषित पुरातत्त्वाचार्य मुनि जिनविजयजी का मंतव्य-                   ‘‘महोपाध्याय क्षमाकल्याण गणी राजस्थान के जैन विद्वानों में एक उत्तम कोटि के विद्वान् थे और अन्य प्रकार से अन्तिम प्रौढ पंडित थे। इनके बाद राजस्थान में ही नहीं अन्यत्र भी इस श्रेणि का कोई जैन विद्वान् नहीं हुआ। इनने जैन यतिधर्म में दीक्षित होने बाद, आजन्म अखण्डरूप से साहित्योपासना साहित्यिक रचनाएँ निर्मित हुई। साहित्यनिर्माण के अतिरिक्त तत्कालीन जैन समाज की धार्मिक प्रवृत्ति में भी इनने यथेष्ट योगदान दिया जिसके फलस्वरूप, केवल राजस्थान में ही नहीं परन्तु मध्यभारत, गुजरात, सौराष्ट्र, विदर्भ उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल जैसे सुदूर प्रदेशो में भी जैन तीर्थों की संघयात्राएँ देवप्रतिष्ठाएँ और उद्यापनादि विविध धर्मक्रियाएँ संपन्न हुई। इनके पांडित्य और चारित्र्य के गुणों से आकृष्ट होकर, जेसलमेर, जोधपुर और बीकानेर के तत्कालीन नरेश भी इन पर श्रद्धा एवं भक्ति रखते थे ऐसा इनके जीवनचरित्र संबन्धी उपलब्ध सामग्री से ज्ञा

Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज का परिचय

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Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज का जन्म ओशवंश के मालुगोत्र में केसरदेसर नाम के गाँव में संवत् १८०१ में हुआ था। सं. १८१२ में अपनी ११ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने वाचक श्रीअमृतधर्मजी महाराज से दीक्षा ग्रहण की।   अपने जीवनकाल में उनके विहार का अधिक समय बिहार प्रान्त के पटना आदि स्थलो में काफी बीता है। वि. सं. १८७२ पौष वदी १४ को बीकानेर में कालधर्म को प्राप्त हुवे। इनका विस्तृत जीवन चरित्र श्री क्षमाकल्याणचरित नाम के ग्रन्थ में है। इसकी रचना जोधपुर महाराजा के निजी पुस्तकभण्डार के उपाध्यक्ष पं. श्रीनित्यानन्दजी शास्त्री ने की है। सुन्दर संस्कृत श्लोकों में श्री क्षमाकल्याणजी का पूर्ण जीवनवृतान्त दिया गया है।   इनकी प्राप्त रचनाओं में मुख्य रचनायें निम्न हैं- तर्कसंग्रह फक्किका ( 1827), भूधातु वृत्ति ( 1829), समरादित्य केवली चरित्र पूर्वाद्ध , अंबड चरित्र , गौतमीय महाकाव्य टीका , सूक्त रत्नावली स्वोपज्ञ टीका सह , यशोधर चरित्र , चैत्यवन्दन चतुर्विंशति , विज्ञान चन्द्रिका , खरतरगच्छ पट्टावली , जीवविचार टीका , परसमयसार विचार संग्रह , प्

Rajgir Bihar राजगृही वीरायतन में प्रतिष्ठा 17 फरवरी को

राजगृही पूज्य उपाध्याय श्री अमरमुनिजी म. के आशीर्वाद से एवं आचार्यश्री चन्दनाजी महाराज की पावन प्रेरणा से वीरायतन के पावन परिसर में श्री पाश्र्वनाथ परमात्मा का भव्य शिखरबद्ध जिन मंंदिर का निर्माण चल रहा है। इस मंदिर निर्माण का संपूर्ण लाभ पूना निवासी श्री रसिकलालजी सौ. शोभादेवी धारीवाल परिवार ने लिया है। इस मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि मंडल एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा की पावन निश्रा में संपन्न होगा। त्रिदिवसीय महोत्सव के साथ अंजनशलाका प्रतिष्ठा होगी। इस अवसर पर शासन रत्न श्री मनोजकुमारजी बाबुमलजी हरण पधारेंगे। विधि विधान हेतु जयपुर निवासी सुप्रसिद्ध विधिकारक श्री यशवंतजी गोलेच्छा पधारेंगे।

sammetshikhar tirth Vachna श्री सम्मेतशिखर महातीर्थ की पावन गोद में वांचना शिविर 7 से 9 जनवरी 2017 को

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बीस तीर्थ करों की निर्वाण भूमि श्री सम्मेतशिखर महातीर्थ के पावन ऊर्जावान वातावरण में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि मंडल एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. , पू. बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म.सा. आदि के पावन सानिध्य में दिनांक 7, 8 व 9 जनवरी 2017 को त्रिदिवसीय वांचना शिविर का आयोजन किया गया है। ता. 10 जनवरी को सामूहिक यात्रा होगी। इस शिविर का आयोजन अ.भा. खरतरगच्छ युवा परिषद ‘ केयुप ’ द्वारा किया जा रहा है। इस शिविर का संपूर्ण लाभ गढ़ सिवाना-अहमदाबाद निवासी संघवी श्री अशोककुमारजी मानमलजी भंसाली द्वारा लिया गया है। यह शिविर जैन धर्म दर्शन तत्त्वज्ञान का सामान्य बोध क्रिया , विधि , गच्छ , इतिहास आदि विविध विषयों पर केन्द्रित होगा। शिविर में सम्मिलित होने हेतु इच्छुक शिविरार्थी शीघ्र ही संपर्क कर अपना नाम अंकित कराकर अनुमति प्राप्त करें।  संपर्क सूत्र -  अशोक भसांली-  9825030604, 

दुर्ग से कैवल्यधाम का छह री पालित संघ संपन्न

पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य देव श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा 5 की पावन निश्रा में दुर्ग नगर से श्री भूरमलजी पतासी देवी बरडिया परिवार की ओर से उवसग्गहरं तीर्थ-कैवल्यधाम तीर्थ के लिये छह री पालित संघ का भव्य आयोजन किया गया। कार्तिक पूर्णिमा के दिन विधि विधान के साथ चतुर्विध संघ ने नगपुरा की ओर प्रस्थान किया। श्री उवसग्गहरं तीर्थ पहुँचने पर संस्थान की ओर से भव्य स्वागत किया गया। वहाँ बिराजमान आचार्य श्री राजचन्द्रसूरिजी म. आदि की सामूहिक निश्रा में कार्तिक पूर्णिमा का विधान किया गया। प्रवचन में पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपतिश्री ने शत्रुंजय तीर्थ की भावयात्रा विवेचना के साथ कराई। ता. 15 को वहाँ से विहार कर संघ दुर्ग पहुँचा। जहाँ श्री सुखसागर प्रवचन मंडप में श्री भूरमलजी बरडिया ने जीवराशि क्षमापना की। पूज्यश्री ने पद्मावती आलोयणा सुनाने के साथ उसकी विवेचना कर जीवराशि क्षमापना का रहस्य समझाया।

दुर्ग नगर में उपधान तप की आराधना सानन्द संपन्न

पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य देव श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. ठाणा 5 की पावन निश्रा में दुर्ग नगर में दिनांक 8 नवंबर 2016 को उपधान तप का माला विधान अत्यन्त आनंद व उत्साह के साथ संपन्न हुआ। मालारोपण विधान के उपलक्ष्य में पंचदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ता. 4 से 6 तक खरतरगच्छाचार्य श्री वर्धमानसूरि विरचित श्री अर्हद् महापूजन पढाया गया। ता. 7 को भव्यातिभव्य शोभायात्रा निकाली गई। ता. 8 को माला विधान हुआ। प्रथम माला धारण करने का लाभ श्रीमती निर्मलादेवी चोपडा को प्राप्त हुआ। माला पहनाने का लाभ मातुश्री तारादेवी श्री पन्नालालजी मूलचंदजी दिलीपजी नवकुमारजी चोपडा सुरगी वालों ने लिया

चातुर्मासों की घोषणा 16 अप्रेल 2017 को रायपुर (छ.ग.) में होगी

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JINMANIPRABHSURI पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने फरमाया है कि पूज्य गणनायक श्री सुखसागरजी म.सा. के समुदाय के साधु साध्वीजी भगवंतों के आगामी चातुर्मासों की घोषणा रायपुर नगर में 16 अप्रेल 2017 को की जायेगी। पालीताना खरतरगच्छ सम्मेलन में लिये गये निर्णय में इस वर्ष यह परिवर्तन किया गया है। सम्मेलन में यह निर्णय किया गया था कि समुदाय के समस्त चातुर्मासों का निर्णय पूज्य गच्छाधिपतिश्री द्वारा ही फाल्गुन सुदि चतुर्दशी के दिन किया जायेगा। चूंकि इस वर्ष पूज्य गच्छाधिपतिश्री होली चातुर्मास की अवधि में विहार में रहेंगे। वे 17 फरवरी 2017 को राजगृही नगर में प्रतिष्ठा संपन्न करवाकर रायपुर की ओर विहार करेंगे , अत: होली चातुर्मास के दिन चातुर्मासों की घोषणा नहीं हो पायेगी। रायपुर में देवेन्द्रनगर में ता. 17 अप्रेल 2017 को प्रतिष्ठा है। उस अवसर पर प्रतिष्ठा से एक दिन पूर्व ता. 16 अप्रेल 2017 वैशाख वदि 5 को चातुर्मास घोषित किये जायेंगे। चातुर्मास की विनंती करने हेतु सकल संघ ता. 16 अप्रेल 2017 को रायपुर पहुँचेंगे।