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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

श्री धर्मनाथ जिन मंदिर प्रतिष्ठा समारोह की भव्यता


 हमारा संघ प्रतिष्ठा की विनंती लेकर पूज्यश्री की सेवा में इचलकरंजी पहुँचा। पूज्यश्री से 26 अप्रेल का मुहूत्र्त प्राप्त कर संघ में खुशियों का वातावरण छा गया। कार्यकत्र्ता तैयारी में जुट गये।
पूज्यश्री इचलकरंजी से विहार कर हुबली में प्रतिष्ठा व दीक्षा, बल्लारी में दीक्षा, ईरोड, तिरूपुर, कोयम्बतूर, कन्याकुमारी आदि प्रतिष्ठाऐं संपन्न करवाकर चेन्नई महानगर पधारे। ता. 11 अप्रेल को वडपलनी में पूज्यश्री का महानगर प्रवेश संपन्न हुआ। जहाँ उनकी निश्रा में मुमुक्षु जया सेठिया एवं संयम सेठिया का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। वर्षीदान का वरघोडा निकाला गया।
मुख्य सहयोगी बने संयम सेठिया की मासीजी मासाजी श्री कमलेशकुमारजी सौ. मालाजी शिशोदिया परिवार!
ता. 12 को पूज्यश्री विहार कर दादावाडी पधारे। बीच में पुरूषवाक्कम में श्री पुखराजजी मेघराजजी भंसाली के घर पगले किये। उनकी ओर से सामैया किया गया। संघ के नाश्ते का लाभ लिया गया। दादावाडी में वर्षीतप आराधना निमित्त श्रीमती सुन्दरबाई कन्हैयालालजी रांका परिवार की ओर से स्वामिवात्सल्य के साथ दादा गुरुदेव की पूजा पढाई गई। ता. 13 को पूज्यश्री दादावाडी बिराजे। ता. 14 को धोबी पेठ होते हुए ता. 15 अप्रेल को पूज्य गुरुवरों व साध्वी मंडल का प्रतिष्ठा दीक्षा निमित्त प्रवेश संपन्न हुआ। रिमझिम बारिश ने गर्मी की तपन को जैसे शान्त कर दिया। भव्य शोभायात्रा के साथ उत्साह व उल्लास का नजारा अलग ही था। नया मंदिर, गुजराती वाडी होते हुए धर्मनाथ मंदिर पधारे।
सभा में पूज्यश्री, पू. साध्वी श्री सुमित्राश्रीजी म., पू. साध्वी श्री सम्यक्दर्शनाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री प्रियकल्पनाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म. ने अपने प्रवचनों के माध्यम से परमात्म-भक्ति एवं गुरु-महिमा का वर्णन किया। पू. साध्वी श्री सम्यक्प्रभाश्रीजी म. ने मधुर स्वरों में गीतिका के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
श्री मोहन मनोज गुलेच्छा, श्री श्रेणिक नाहर आदि ने भजन प्रस्तुत किये। प्रतिष्ठा दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक श्री मुकेशजी गुलेच्छा ने सभा का संचालन किया।
ता. 16 से ता. 20 तक पूज्य मुनिश्री मनितप्रभसागरजी म. के भक्तिभरे प्रवचनों का अनूठा वातावरण रहा। ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम माहरोविषय पर पांच दिवसीय प्रवचन माला चली। बडी संख्या में लोगों ने प्रवचनों का लाभ प्राप्त किया। धर्मनाथ मंदिर का भवन ठसाठस भरा रहता था।
ता. 19 अप्रेल से प्रतिष्ठा समारोह का श्रीगणेश किया गया। कुंभस्थापना, दीपस्थापना, जवारारोपण आदि मंगल विधान संपन्न किये गये। विधिकारक के रूप में 20वें वर्षीतप के तपस्वी श्री सुरेन्द्र भाई बैंगलोर से पधारे थे। ता. 20 को नंद्यावर्त पूजन आदि विधान किये गये।
ता. 21 को अक्षय तृतीया के दिन परमात्मा का च्यवन कल्याणक विधान संपन्न हुआ। जिन मंदिर में विधान तथा रत्नपुरी नगरी में कल्याणक महोत्सव मनाया गया। कार्यकत्ताओं के प्रयत्नों से एक विशाल भूखण्ड समीप ही प्राप्त हो गया था। वहीं पर रत्नपुरी नगर, जिनदत्तनगर, शालिभद्र नगर की रचना की गई थी। कल्याणक महोत्सव भी वहीं था व भोजनशाला भी वहीं थी। प्रतिदिन 20 हजार से अधिक लोगों की साधर्मिक भक्ति की गई। चेन्नई नगर में एक इतिहास बनने जा रहा था। आज यहाँ बिराजमान तीन साध्वीजी म. का दीक्षा दिवस है। पू. साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म. पू. साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म. एवं पू. साध्वी श्री विश्वरत्नाश्रीजी म.! उनके संयम की अनुमोदना अभिवंदना की गई। विशेष रूप से पू. साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म. की तो यह जन्मभूमि है। अपनी जन्म भूमि में दीक्षा दिवस मनाने का लाभ प्राप्त हो रहा है, इसकी भूरि भूरि अनुमोदना है।
ता. 22 को जन्म कल्याणक विधान व महोत्सव का अपना एक अलग ही नजारा था। परमात्मा के जन्म की बधाई देते हुए लोग भक्ति में झूम रहे थे। संगीतकार नरेन्द्र भाई वाणी गोता का अपना एक अलग अंदाज था।
56 दिक्कुमारिकाओं की तैयारी में पू. साध्वी श्री सम्यक्दर्शनाश्रीजी म.सा. एवं पू. सम्यक्प्रभाश्रीजी म.सा. का पूरा योगदान रहा। कोकिल कंठी साध्वीजी म. के सुमधुर गीतों ने एक भक्ति मय वातावरण का निर्माण किया। उन्होंने इसके लिये बहुत परिश्रम किया।
ता. 23 को जन्म बधाई से समारोह का प्रारंभ हुआ। नामकरण, पाठशाला गमन, विवाह, मामेरा, राज्याभिषेक, नवलोकान्तिक देवों का आगमन व प्रार्थना तक का पूरा कार्यक्रम संपन्न हुआ।
ता. 24 को भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। बडे बूढे लोगों का कहना रहा- चेन्नई के इतिहास में ऐसी विशाल लम्बी शोभायात्रा पहली बार देखने को मिली है। प्रतिदिन भयंकर ताप बरसाता सूरज भी जैसे आज धीमा हो गया था। बादलों ने गर्मी को एकदम कम कर दिया था। शाम को हुई तेज बारिश ने मौसम को खुशगवार बना दिया था।
ता. 25 को दीक्षा संपन्न हुई। 25 की रात अर्थात् 26 को सुबह ब्रह्म मुहूत्र्त से पूर्व अंजनशलाका का महाविधान किया गया। रात 3 बजे यह महाविधान प्रारंभ हुआ था। इसमें 800 से 1000 श्रद्धालु श्रावक श्राविकाओं ने उपस्थित होकर एक कीर्तिमान स्थापित किया था। पूज्यश्री ने अंजनशलाका का गोपनीय विधान करने के पश्चात् तीर्थंकर के प्रतिनिधि के रूप में देशना प्रदान की। 108 अभिषेक के द्वारा निर्वाण कल्याणक मनाया गया।
ता. 26 को शुभ मुहूत्र्त में परमात्मा धर्मनाथ, गणधर गौतमस्वामी, दादा जिनकुशलसूरि, भोमिया बाबा आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा संपन्न हुई। अत्यन्त हर्षोल्लास व भक्ति भरे अनूठे वातावरण में परमात्मा को गादीनशीन किया गया। धर्मनाथ परमात्मा को बिराजमान का लाभ प्राप्त किया श्रीमती छोटाबाई कस्तुरचंदजी जेठमलजी गोपीचंदजी गुलेच्छा फलोदी वालों ने लिया। गणधर गौतमस्वामी को बिराजमान करने का लाभ श्रीमती मानाबाई लालचंदजी गुलेच्छा परिवार ने, दादा जिनकुशलसूरि को बिराजमान का लाभ चेतीदेवी सुगनचंदजी डोसी परिवार ने एवं भोमिया बाबा को बिराजमान का लाभ श्रीमती इचरजबाई चंपालालजी डोसी परिवार ने प्राप्त किया।
अमर ध्वजा व स्वर्ण कलश बिराजमान करने का नया चढावा न बुलवाकर पूर्व में गृहमंदिर की ध्वजा व स्वर्ण कलश के लाभार्थी परिवार क्रमश श्री ताराचंदजी विजयलालजी कोठारी व अभयकरणजी ज्ञानचंदजी कोठारी परिवार को प्रदान किया गया। जिसकी संघ ने भरपूर अनुमोदना की। प्रतिष्ठा के पश्चात् धर्म सभा का आयोजन किया गया। जिसमें सोमपुरा, संगीतकार आदि का बहुमान किया गया। श्री जिनदत्तसूरि मंडल एवं प्रतिष्ठा महोत्सव समिति की ओर से पूज्य गुरुदेव श्री एवं साध्वीजी महाराज को कामली ओढाई गई। गुरुपूजन किया गया। दोपहर में अष्टोत्तरी शान्ति स्नात्र महापूजन पढाया गया। ता. 27 को द्वारोद्घाटन संपन्न हुआ। उसका लाभ तिरूपातूर निवासी श्री पन्नालालजी गौतमचंदजी कवाड तथा उपर के मंदिर के द्वारोद्घाटन का लाभ श्रीमती छोटाबाई कस्तुरचंदजी जेठमलजी गोपीचंदजी गुलेच्छा फलोदी वालों ने लिया।
इस प्रतिष्ठा दीक्षा महोत्सव को सफल बनाने में श्री शांतिलालजी गुलेच्छा, श्री मुकेशजी गुलेच्छा, श्री बाबुलालजी गुलेच्छा, श्री रणजीतजी गुलेच्छा, श्री सुरेशजी लूणिया, श्री ध्र्मचंदजी गुलेच्छा, श्री राजेशजी श्रीश्रीमाल आदि महानुभावों का सक्रिय योगदान रहा।


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