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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में भविष्य काल में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम

1. श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ' श्री पद्मनाभजी ' होंगे। 2. श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ' श्री सुरदेव जी ' होंगे । 3. कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर तीसरे ' श्री सुपार्श्व जी ' होंगे।

आठ कर्म

1. ज्ञानावरणीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा के ज्ञान-गुण पर परदा पड़ जाए।  जैसे सूर्य का बादल में ढँक जाना। 2. दर्शनावरणीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा की दर्शन शक्ति पर परदा पड़ जाए।  जैसे चपरासी बड़े साहब से मिलने पर रोक लगा दे। 3. वेदनीय कर्म- वह कर्म जिससे आत्मा को साता का- सुख का और असाता का-दुःख का अनुभव हो।  जैसे गुड़भरा हँसिया- मीठा भी, काटने वाला भी। 4. मोहनीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा के श्रद्धा और चारित्र गुणों पर परदा पड़ जाता है।  जैसे शराब पीकर मनुष्य नहीं समझ पाता कि वह क्या कर रहा है। 5. आयु कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा को एक शरीर में नियत समय तक रहना पड़े।  जैसे कैदी को जेल में। 6. नाम कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा मूर्त होकर शुभ और अशुभ शरीर धारण करे।  जैसे चित्रकार की रंग-बिरंगी तसवीरें। 7. गोत्र कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा को ऊँची-नीची अवस्था मिले। जैसे कुम्हार के छोटे-बड़े बर्तन। 8. अन्तराय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा की लब्धि में विघ्न पड़े।  जैसे राजा का भण्डारी। बिना उसकी मर्जी के राजा की आज्ञा से भी काम नहीं बनता

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फालना में आराधना भवन का उद्घाटन

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 पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य प्रशिष्य पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में फालना नगर में श्री आदिनाथ जिन मंदिर एवं दादावाडी की 12 वीं वर्षगांठ निमित्ते त्रिदिवसीय परमात्म भक्ति का आयोजन होगा। इस मंदिर दादावाडी की प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में वि . 02059 वैशाख शुक्ल तृतीया ता . 11 मई 2002 को संपन्न हुई थी।

डुठारिया प्रतिष्ठा

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 पाली जिले के छाजेड परिवारों के गांव श्री डुठारिया नगर में आदिनाथ परमात्मा के भव्यातिभव्य जिन मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा आगामी वैशाख सुदि 12 रविवार ता . 11 मई 2014 को पूज्य गुरुदेव आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य पूज्य गुरुदेव उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में संपन्न होने जा रही है।

कन्याकुमारी में शिलान्यास संपन्न

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   भारत   के   दक्षिणी   समुद्र   के   किनारे   स्थित   ऐतिहासिक   पर्यटक   स्थल   कन्याकुमारी   में               परमात्मा   महावीर   स्वामी   का   जिन   मंदिर   निर्मित   होने   जा   रहा   है।   साथ   ही   श्री   जिनकुशलसूरि   दादावाडी   एवं   राजेन्द्रसूरि   गुरु   मंदिर   का   निर्माण   भी   होगा।

नवप्रभात -उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.

जीवन में कभी - कभी ऐसी विकट स्थितियां बन जाती है , जब निर्णय करना मुश्किल हो जाता है। जब व्यक्ति चारों तरफ से अपने आपको घिरा हुआ महसूस करता है , जब इधर कुआं उधर खाई नजर आती है , ऐसी स्थिति में उचित समाधान कैसे पाया जा सकता है ! मैंने एक कहानी पढी थी। जंगल में एक गर्भवती हिरणी प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान की खोज कर रही थी। नदी के किनारे घनी झाडियों के पास बिछी हुई मुलायम घास वाली जगह उसे सुरक्षित प्रतीत हुई।

Jahajmandir magazine april 2014

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सफलता के सात भेद

सफलता के सात भेद कौनसे हैं ? मुझे अपने कमरे के अंदर ही उत्तर मिल गये ! छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो ! पंखे ने कहा : ठन्डे रहो ! घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है ! शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक लो ! खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो ! कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो ! दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा जोर लगाओ !

श्री हस्तिनापुर तीर्थ

पावन तीर्थ श्री हस्तिनापुर का धार्मिक और एतिहासिक महत्व  हैं । इस तीर्थ की प्राचीनता दादा आदिनाथ से प्रारंभ होती हे।भगवान के वर्षीतप जैसे महान तप का पारना , १२  कल्याणक   की पावन भूमि , ६ चक्रवतीयो की जन्म भूमि , अन्नत राजा महाराजो के शासन काल और पांडवो और कोरवों की राजधानी का गौरव इस भूमि को प्राप्त  है ।

श्री चंपा पूरी तीर्थ

   श्री चंपा पूरी तीर्थ बिहार की  प्रसिद्ध सिल्क नगरी भागलपुर से  महज ६ कि.मी. की दुरी पर श्री चंपा पूरी तीर्थ आया हुवा है ।   १२ वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी  का जन्म के साथ साथ इनके पांचो कल्याणक इसी पावन चम्पापुरी तीर्थ पर हुवे। तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी के माँ का नाम जया रानी और पिता का नाम वसुपूज्य था । भगवान आदिनाथ ने भरत देश को ५२ जन पदों में विभाजित किया था, उसमे अंग जनपद भी एक था। चंपा अंग जनपद की राजधानी थी।यहाँ  के राजा का नाम दधि वाहन और रानी का नाम अभया था। चंपा नगरी के द्वार खोलने वाली महासती सुभद्रा थी।

श्री पावापुरी तीर्थ   

   श्री पावापुरी तीर्थ    जहाँ भगवान महावीर का प्रदापर्ण हुवा  और वहा के राजा हस्तिपाल ने अपने राज्य में भगवान को स्थान उपलब्ध कराया था। भगवान के दर्शनार्थ अनेको राजागण, श्रेष्ठीगण आदि भक्त आते रहते थे प्रभु ने अपने प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी को निकट गाव में देवशर्मा  ब्राह्मण के यहाँ उपदेश देने के लिए भेजा। कार्तिक कृष्णा १४ के प्रात: काल प्रभु की अन्तिम देशना प्रारम्भ हुई उस समय मलवंश के ९ राजा, लिच्छवींवशं के ९ राजा आदि  भक्तगणों से पूरी सभा भरी हुई थी। सारे श्रोता प्रभु की अमृतमयि वाणी को अत्यन्त भाव पूर्वक और  श्रद्धा पूर्वक सुन रहे थे।

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बड़े काम के कोड है... शेयर करे और दुसरो को भी बताये !

बड़े काम के कोड है... शेयर करे और दुसरो को भी बताये!. क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें... क - क्लेश मत करो ख- खराब मत करो ग- गर्व ना करो घ- घमण्ड मत करो च- चिँता मत करो छ- छल-कपट मत करो ज- जवाबदारी निभाओ झ- झूठ मत बोलो

हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुईहै।

एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसी सेमीनार में हिस्सा ले रहा था। सेमीनार शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे देते हुए बोला , ” आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है।”

बाड़मेर में कल्याणपुरा अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न

बाड़मेर में कल्याणपुरा स्थित महावीर चौक के पाश्र्वनाथ जिनालय के जीर्णोद्धार कारत जिन मंदिर की भव्यातिभव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न हुए। श्री पाश्र्वनाथ जिनालय की अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में एवं साध्वी श्री सुरंजनाश्री आदि ठाणा एवं डाँ. विद्युत्प्रभाश्री आदि ठाणा के पावन सानिध्य में 5 मार्च को सम्पन्न होगी। अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन आज प्रात:10बजे वाराणसी नगरी में सुसज्जित राजदरबार के रंग मण्डप पर आज माता त्रिशला के चौदह स्वप्नों के दर्शन का मनमोहक कार्यक्रम हुआ जिसमें चौदह स्वप्न, हाथी, रिषभ, सिंह लक्ष्मीजी, फूलों की माला, चन्द्र, सूरज, ध्वजा, कलश, पदम सरोवर, खीर समुद्र, देव विमान, रत्नों की राशि, अग्नि धूम के प्रत्येक स्वप्न बालिकाओं द्वारा अपने सिर पर रखकर झूमते-नाचते हुए सभी श्रद्धालुओं को दर्शन कराए। च्यवन कल्याणक के बारे में बताया कि परम कृपासिंधु अनंत उपकारी श्री अरिहंत परमात्मा का देवलोक अथवा नरक गति का आयुष्य पूर्ण करने पर मनुष्य गति माता की कुक्षि में अवतरण होत

दादा जिन कुशल सूरिजी की आज पुण्य तिथि है ।सभी महानुभावों से निवेदन है की दादावाडी अवश्य जायें और गुरू इकतीसा का पाठ करें।

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Jay ho gurudev. ..

दादा जिन कुशल सूरिजी की आज पुण्य तिथि है ।

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कुशल सूरि देराउर नगरे , भुवनपति सुर ठावे । फाल्गुन वदी अमावस सीधा, पूनम दर्श दिखावे । बोलिए कलिकाल कल्पतरु दादा गुरूदेव जिन कुशल सूरिजी की  जय ।।। तीसरे दादा जिन कुशल सूरिजी की  आज पुण्य तिथि है । जय जिनेन्द्र        आज प्रगट प्रभावी चौरासी  गच्छ श्रंगारहार जंगम युग प्रधान भटारक  खरतरगच्छ चारित्र चूड़ामणि तीसरे दादा  श्री जिन कुशल सूरी जी  म.सा. की 681 वीं स्वर्गारोहन जयंती  समारोह बड़े  हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है ।             आपका जन्म राजस्थान के बाडमेर  में गढ सिवाना में  विक्रम  स्वंत्त 1337  में छाजेड गोत्र में हुवा , आपके बचपन का नाम  करमन था ।            आप  व्याकरण   न्याय  साहित्य  अलंकार  ज्योतिष  मंत्र चित्रकाव्य  समस्या पूर्ति और जैन  दर्शन  के  अभूतपर्व विद्वान् थे ।         आप भक्तों के रोम रोम में बसे हुवे हो जब भी भक्त आपको याद करते हैं ,आप तुरंत हाजिर हो जाते हो , आपके राजस्थान में आज भी   जयपुर में मालपुरा , जैसलमेर में बरमसर ,और बीकानेर में नाल  दादावाडी हैं,  जहा आपने अपने भक्तो को  देवलोक होने के बाद दर्शन दिए और उनका मनोरथ पूरा किया ।           आपके

जैनों को अल्पसंख्यक मान्यता : एक स्वागत योग्य घोषणा

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जैनों को अल्पसंख्यक मान्यता : एक स्वागत योग्य घोषणा 0 पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि जैन समाज को धर्म के आधार पर भारत सरकार ने अल्पसंख्यक की मान्यता प्रदान की है। प्रथम क्षण में जब हम सुनते हैं तो एक अजीब सा भाव पैदा होता है । क्योंकि जैन एक धर्म है ... एक विचार धारा है ... जीवन जीने की पद्धति है ! उसका समाज के साथ कोई गठबंधन नहीं है। तीर्थंकर परमात्मा की देशना के आधार पर अपने जीवन का निर्माण कर कोई भी व्यक्ति जैन हो सकता है।

चाणक्य के 15 अमर वाक्य

1)➤दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी। 2)➤किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं। 3)➤अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए। 4)➤हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह कड़वा सच है। 5)➤कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो... 1. मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? 2 इसका क्या परिणाम होगा ? 3 क्या मैं सफल रहूँगा? 6)➤भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो। 7)➤दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है। 8)➤काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो। 9)➤सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।" 10)➤ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ। 11)➤व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं। 12)➤ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या न