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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

पूज्य उपाध्यायश्री का प्रवचन

    • ता. 1 सितम्बर 2013, पालीताना                            
  • जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने बाबुलाल लूणिया एवं रायचंद दायमा परिवार की ओर से आयोजित चातुर्मास पर्व के अन्तर्गत श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में आराध्को व अतिथियों  को संबोिध्ात करते हुए कहा- संयम के बिना आत्मा का कल्याण नहीं है। संयम ग्रहण करने के लिये संसार का त्याग करना ही होता है। संसार के सारे सुख क्षणिक है। यदि संसार के साधनों में सुख होता तो तीर्थंकर और चक्रवर्ती जैसे अपार संपदा और सत्ता के मालिक क्यों संसार का त्याग करते! उन्होंने भी संसार को असार समझ कर संसार का त्याग किया और आत्मा की केवल ज्ञान संपदा को प्राप्त किया।





  • उन्होंने कहा- संसार के सारे सुख केवल दुख ही देने वाले हैं। क्षण भर का सुख लम्बे समय के दुख का कारण है। इसलिये हमें संसार के सुखों में नहीं उलझना है, अपितु आत्मा के सुख में डुबकी लगानी है। यह सुख समता और सरलता से प्राप्त होता है।
  • उन्होंने कहा- आत्मिक सुख को प्राप्त करने के लिये अपने अन्तर के स्वभाव को बदल कर कषाय से मुक्त करना होता है। क्योंकि हमें दुख और कोई नहीं देता। मेरे अन्तर में पैदा होने वाला क्रोध ही मेरे दुख का कारण है। मेरे मन में जो मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, ईष्र्या, वासना भरी है, वही मुझे दुखी करते हैं।
  • इसी प्रकार मुझे सुख देने वाला भी कोई और व्यक्ति या तत्व नहीं है। मैं ही मुझे सुखी करता हूँ। मैं विपरीत परिस्थितियों में भी क्षमा, सरलता, विनय, संतोष आदि गुणों में डुबकी लगाता हूँ, तो उन क्षणों में मैं परम आनन्द, शान्ति व सुख को प्राप्त करता हूँ।
  • आज कुमारी सीमा छाजेड के दीक्षा मुहूत्र्त उद्घोषणा के अवसर पर प्रवचन फरमाते हुए कहा- एक परिपक्व और समझ भरी युवा उम्र में उच्च शिक्षित कुमारी सीमा संसार त्याग का संकल्प कर रही है। यह अनुमोदना का विषय है।
  • चातुर्मास प्रेरिका पूजनीया बहिन म. डाँ. विद्युत्प्रभाश्रीजी म. सा. ने कहा- अब हमें तप, जप, त्याग में लग जाना है। कल से पर्युषण महापर्व की आराधना प्रारंभ हो रही है। संसार और शरीर की सेवा को छोड कर अपनी आत्मा की सेवा में लग जाना है।
  • इस अवसर पर विशेष रूप से चेन्नई से श्री मोहनजी मनोजजी गोलेच्छा पधारे, जिन्होंने जिन शासन महान् कार्यक्रम अपनी अद्भुत छटा के साथ प्रस्तुत किया। तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में लोगों ने भीगी आंखों से अनुमोदना का लाभ लिया।
  • इस अवसर पर हरि विहार के अध्यक्ष संघवी श्री विजयराजजी डोसी ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया। उनका चातुर्मास आयोजक श्री बाबुलालजी लूणिया एवं श्री रायचंदजी दायमा परिवार द्वारा स्वागत किया गया।





  • श्री डोसी ने बताया कि कल से पर्युषण महापर्व की आराधना प्रारंभ हो रही है। पर्युषण महापर्व की आराधना करने के लिये एक हजार से अधिक आराधक देश के कोने कोने से आ रहे हैं।




  • प्रेषक

  • दिलीप दायमा



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