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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Dada Gurudev photos slide

नवकार वाली यानि माला का स्वरूप

नवकार वाली के 108 मणको को पंचपरमेष्ठी के 108 गुणों को जीवन में धारण करने स्वरूप गिना जाता है ! * उन समस्त गुणों के प्रति आदर, सम्मान का भाव प्रगटाने के लिए तथा माला गिनते समय एक एक गुण का स्मरण कर अपनी अंतरात्मा में उतारने का पुरुषार्थ करने के स्वरूप गिना जाता है । * अपने मन में स्थित पाप करने की वृति तथा पापकर्म की शक्ति का नाश करने के भाव के साथ गिना जाता है । * माला धागे की सर्वथा योग्य मानी जाती है, चंदन या चांदी की माला को भी शुभ माना गया है, प्लास्टिक की माला उपयोग नही करनी चाहिए , शान्ति तथा शुभ कार्य के लिए सफेद रंग की माला लेनी चाहिए । * माला गिनने का स्थान एवं वस्त्र भी शुद्ध-पवित्र होने चाहिए । * माला गिनते समय मुँह पूर्व दिशा की और होना चाहिए, पूर्व दिशा अनुकूल न हो तो उत्तर दिशा की और मुँह करके जाप करना चाहिए । * सहज भाव से होंठ बंद रखकर, दांत एक दुसरे को स्पर्श न करें, मात्र स्वयं ही जान सके, इस प्रकार मन में ही जाप करना चाहिए । * प्रात:काल ब्रह्म समय अर्थात सूर्योदय से पहले की चार घडी (1 hr 36 mts) का समय सर्वोत्तम है । * नवकार मंत्र के जाप-ध्यान से शरीर में 72

Jain Religion answer

1. Ravan kaun se kshetra me tirthankar banenge?? Ans. Airtavat Kshetra 2. Abhavya markar kaha kaha nhi ja sakte hai full ans dena adura nhi chalega??? Ans. Anutar viman aur moksh 3. 700 chovisi tak kiska naam rahega?? ans. Sri chandra kewali 4. Veer prabhu ko samyaktva ki prapti kaun se chetra me hui thi??? ans. Mahavideh chetra 5.Veer prabhu ke sasan me kitne ascharya hue ans. 5

जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में भविष्य काल में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम

1. श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ' श्री पद्मनाभजी ' होंगे। 2. श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ' श्री सुरदेव जी ' होंगे । 3. कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर तीसरे ' श्री सुपार्श्व जी ' होंगे।

आठ कर्म

1. ज्ञानावरणीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा के ज्ञान-गुण पर परदा पड़ जाए।  जैसे सूर्य का बादल में ढँक जाना। 2. दर्शनावरणीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा की दर्शन शक्ति पर परदा पड़ जाए।  जैसे चपरासी बड़े साहब से मिलने पर रोक लगा दे। 3. वेदनीय कर्म- वह कर्म जिससे आत्मा को साता का- सुख का और असाता का-दुःख का अनुभव हो।  जैसे गुड़भरा हँसिया- मीठा भी, काटने वाला भी। 4. मोहनीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा के श्रद्धा और चारित्र गुणों पर परदा पड़ जाता है।  जैसे शराब पीकर मनुष्य नहीं समझ पाता कि वह क्या कर रहा है। 5. आयु कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा को एक शरीर में नियत समय तक रहना पड़े।  जैसे कैदी को जेल में। 6. नाम कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा मूर्त होकर शुभ और अशुभ शरीर धारण करे।  जैसे चित्रकार की रंग-बिरंगी तसवीरें। 7. गोत्र कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा को ऊँची-नीची अवस्था मिले। जैसे कुम्हार के छोटे-बड़े बर्तन। 8. अन्तराय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा की लब्धि में विघ्न पड़े।  जैसे राजा का भण्डारी। बिना उसकी मर्जी के राजा की आज्ञा से भी काम नहीं बनता

Jahaj mandir

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फालना में आराधना भवन का उद्घाटन

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 पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य प्रशिष्य पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में फालना नगर में श्री आदिनाथ जिन मंदिर एवं दादावाडी की 12 वीं वर्षगांठ निमित्ते त्रिदिवसीय परमात्म भक्ति का आयोजन होगा। इस मंदिर दादावाडी की प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में वि . 02059 वैशाख शुक्ल तृतीया ता . 11 मई 2002 को संपन्न हुई थी।

डुठारिया प्रतिष्ठा

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 पाली जिले के छाजेड परिवारों के गांव श्री डुठारिया नगर में आदिनाथ परमात्मा के भव्यातिभव्य जिन मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा आगामी वैशाख सुदि 12 रविवार ता . 11 मई 2014 को पूज्य गुरुदेव आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य पूज्य गुरुदेव उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में संपन्न होने जा रही है।

कन्याकुमारी में शिलान्यास संपन्न

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   भारत   के   दक्षिणी   समुद्र   के   किनारे   स्थित   ऐतिहासिक   पर्यटक   स्थल   कन्याकुमारी   में               परमात्मा   महावीर   स्वामी   का   जिन   मंदिर   निर्मित   होने   जा   रहा   है।   साथ   ही   श्री   जिनकुशलसूरि   दादावाडी   एवं   राजेन्द्रसूरि   गुरु   मंदिर   का   निर्माण   भी   होगा।

नवप्रभात -उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.

जीवन में कभी - कभी ऐसी विकट स्थितियां बन जाती है , जब निर्णय करना मुश्किल हो जाता है। जब व्यक्ति चारों तरफ से अपने आपको घिरा हुआ महसूस करता है , जब इधर कुआं उधर खाई नजर आती है , ऐसी स्थिति में उचित समाधान कैसे पाया जा सकता है ! मैंने एक कहानी पढी थी। जंगल में एक गर्भवती हिरणी प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान की खोज कर रही थी। नदी के किनारे घनी झाडियों के पास बिछी हुई मुलायम घास वाली जगह उसे सुरक्षित प्रतीत हुई।

Jahajmandir magazine april 2014

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सफलता के सात भेद

सफलता के सात भेद कौनसे हैं ? मुझे अपने कमरे के अंदर ही उत्तर मिल गये ! छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो ! पंखे ने कहा : ठन्डे रहो ! घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है ! शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक लो ! खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो ! कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो ! दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा जोर लगाओ !

श्री हस्तिनापुर तीर्थ

पावन तीर्थ श्री हस्तिनापुर का धार्मिक और एतिहासिक महत्व  हैं । इस तीर्थ की प्राचीनता दादा आदिनाथ से प्रारंभ होती हे।भगवान के वर्षीतप जैसे महान तप का पारना , १२  कल्याणक   की पावन भूमि , ६ चक्रवतीयो की जन्म भूमि , अन्नत राजा महाराजो के शासन काल और पांडवो और कोरवों की राजधानी का गौरव इस भूमि को प्राप्त  है ।

श्री चंपा पूरी तीर्थ

   श्री चंपा पूरी तीर्थ बिहार की  प्रसिद्ध सिल्क नगरी भागलपुर से  महज ६ कि.मी. की दुरी पर श्री चंपा पूरी तीर्थ आया हुवा है ।   १२ वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी  का जन्म के साथ साथ इनके पांचो कल्याणक इसी पावन चम्पापुरी तीर्थ पर हुवे। तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी के माँ का नाम जया रानी और पिता का नाम वसुपूज्य था । भगवान आदिनाथ ने भरत देश को ५२ जन पदों में विभाजित किया था, उसमे अंग जनपद भी एक था। चंपा अंग जनपद की राजधानी थी।यहाँ  के राजा का नाम दधि वाहन और रानी का नाम अभया था। चंपा नगरी के द्वार खोलने वाली महासती सुभद्रा थी।

श्री पावापुरी तीर्थ   

   श्री पावापुरी तीर्थ    जहाँ भगवान महावीर का प्रदापर्ण हुवा  और वहा के राजा हस्तिपाल ने अपने राज्य में भगवान को स्थान उपलब्ध कराया था। भगवान के दर्शनार्थ अनेको राजागण, श्रेष्ठीगण आदि भक्त आते रहते थे प्रभु ने अपने प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी को निकट गाव में देवशर्मा  ब्राह्मण के यहाँ उपदेश देने के लिए भेजा। कार्तिक कृष्णा १४ के प्रात: काल प्रभु की अन्तिम देशना प्रारम्भ हुई उस समय मलवंश के ९ राजा, लिच्छवींवशं के ९ राजा आदि  भक्तगणों से पूरी सभा भरी हुई थी। सारे श्रोता प्रभु की अमृतमयि वाणी को अत्यन्त भाव पूर्वक और  श्रद्धा पूर्वक सुन रहे थे।

Contact Numbers of Some Tirth

Jahajmandir Rajasthan 02973 256107/ 09649640451 Www.jahajmandir.blogspot.in AAGLOD TIRTH 02763283615 02763283734 AKOLA TIRTH 07242433059 AGASHI TIRTH 02502587183 AGRA TIRTH 0562254559 AJIMGUNJ TIRTH 03483253312 ALAUKIK PARSHVANATH TIRTH 07342610205 2610246

बड़े काम के कोड है... शेयर करे और दुसरो को भी बताये !

बड़े काम के कोड है... शेयर करे और दुसरो को भी बताये!. क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें... क - क्लेश मत करो ख- खराब मत करो ग- गर्व ना करो घ- घमण्ड मत करो च- चिँता मत करो छ- छल-कपट मत करो ज- जवाबदारी निभाओ झ- झूठ मत बोलो

हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुईहै।

एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसी सेमीनार में हिस्सा ले रहा था। सेमीनार शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे देते हुए बोला , ” आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है।”

बाड़मेर में कल्याणपुरा अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न

बाड़मेर में कल्याणपुरा स्थित महावीर चौक के पाश्र्वनाथ जिनालय के जीर्णोद्धार कारत जिन मंदिर की भव्यातिभव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न हुए। श्री पाश्र्वनाथ जिनालय की अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में एवं साध्वी श्री सुरंजनाश्री आदि ठाणा एवं डाँ. विद्युत्प्रभाश्री आदि ठाणा के पावन सानिध्य में 5 मार्च को सम्पन्न होगी। अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन आज प्रात:10बजे वाराणसी नगरी में सुसज्जित राजदरबार के रंग मण्डप पर आज माता त्रिशला के चौदह स्वप्नों के दर्शन का मनमोहक कार्यक्रम हुआ जिसमें चौदह स्वप्न, हाथी, रिषभ, सिंह लक्ष्मीजी, फूलों की माला, चन्द्र, सूरज, ध्वजा, कलश, पदम सरोवर, खीर समुद्र, देव विमान, रत्नों की राशि, अग्नि धूम के प्रत्येक स्वप्न बालिकाओं द्वारा अपने सिर पर रखकर झूमते-नाचते हुए सभी श्रद्धालुओं को दर्शन कराए। च्यवन कल्याणक के बारे में बताया कि परम कृपासिंधु अनंत उपकारी श्री अरिहंत परमात्मा का देवलोक अथवा नरक गति का आयुष्य पूर्ण करने पर मनुष्य गति माता की कुक्षि में अवतरण होत

दादा जिन कुशल सूरिजी की आज पुण्य तिथि है ।सभी महानुभावों से निवेदन है की दादावाडी अवश्य जायें और गुरू इकतीसा का पाठ करें।

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Jay ho gurudev. ..