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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Palitana जिन हरि विहार पालीताना की वर्षगांठ आयोजित

पालीताणा स्थित श्री जिन हरि विहार धर्म शा ला के श्री आदिनाथ मयूर मंदिर का 14 वां वार्षिक ध्वजारोहण का कार्यक्रम दिनांक 12 नवम्बर 2016 को अत्यन्त आनन्द व उल्लास के साथ संपन्न हुआ। कायमी ध्वजा के लाभार्थी श्रीमती पुष्पाजी अ शो कजी जैन परिवार द्वारा जिन मंदिर पर ध्वजा चढाई गई। सतरह भेदी पूजा पढाई गई। यह समारोह खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मयंकप्रभसागरजी म. पू. मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री मौनप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री मोक्षप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री मननप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी म. आदि ठाणा एवं पूजनीया खान्दे श शिरोमणि महत्तरा पद विभुषिता श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म.सा , साध्वी प्रियरदर्शनाश्रीजी म. , साध्वी हेमरत्नाश्रीजी म. , साध्वी मृगावतीश्रीजी म. , साध्वी प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. आदि साध्वी मंडल की पावन निश्रा में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंत्री श्री बाबुलालजी लूणिया , कोषाध्यक्ष श्री पुखराजजी तातेड़ , सदस्य श्री विजयजी गुलेच्छा , रतनचंद बोथरा आदि कई ट्रस्टी उपस्थित थे। इस मंदिर की प्

ज्ञान पंचमी के दिन श्रुत की पूजा कर लेना, ज्ञान मंदिरों के पट खोलकर पुस्तकों के प्रदर्शन कर लेना और फिर वर्ष भर के लिए उन्हें ताले में बंद कर देना ज्ञानभक्ति नहीं है। इस दिन श्रुत के अभ्यास, प्रचार और प्रसार का संकल्प करना चाहिए।

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Gyan Panchami ज्ञान पंचमी ज्ञान पंचमी कार्तिक शुक्ला पंचमी अर्थात दीपावली के पाँचवे दिन मनाई जाती है।  इस दिन विधिवत आराधना करने से और ज्ञान की भक्ति करने से  कोढ़ जैसे भीषण रोग भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन 51 लोगस्स का कायोत्सर्ग, 51 स्वस्तिक, 51 खामासना और  " नमो नाणस्स " पद का जाप किया जाता है।  ज्ञान पंचमी को लाभ पंचमी भी कहा जाता है। ज्ञान पंचमी सन्देश देती है की ज्ञान के प्रति दुर्भाव रखने से ज्ञानावरणीय कर्म का बंध होता है। अतएव हमें ज्ञान की महिमा को हृदयंगम करके उसकी आराधना करनी चाहिए। यथाशक्ति  ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए और दूसरों के पठन पाठन में योग देना चाहिए। यह योग कई प्रकार से दिया जा सकता है।निर्धन विद्यार्थियों को श्रुत ग्रन्थ देना, आर्थिक सहयोग देना, धार्मिक ग्रंथों का सर्वसाधारण में वितरण करना,  पाठशालाएं चलाना, चलाने वालों को सहयोग देना,  स्वयं प्राप्त ज्ञान का दूसरों को लाभ देना आदि। ये सब ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षयोपशम के कारण है। विचारणीय है की जब लौकिक ज्ञान प्राप्ति में बाधा पहुंचाने वाली गुणमंजरी को गूंगी

durg me Suri Mantra Sadhna दुर्ग में सूरिमंत्र की प्रथम पीठिका की साधना सम्पन्न

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durg me Suri Mantra Sadhna दुर्ग नगर में पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के सूरिमंत्र की प्रथम पीठिका की इक्कीस दिवसीय साधना दिनांक 03 अक्टूबर से शुरू हुई और उसका निर्विघ्न सानन्द समापन समारोह 23 अक्टूबर को हुआ। इस साधना के अन्तर्गत पूज्यश्री सम्पूर्ण तौर पर मौन के साथ सूरिमंत्र के जप और तप में लीन रहे। 23 अक्टूबर को सुबह 5.20 बजे आयोजित हवन-पूजन के कार्यक्रम में श्रावकों ने पूजा परिधान पहनकर भाग लिया। प्रात: 9.30 बजे आचार्यश्री के सम्मान में गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला गया। जुलूस में हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाओं और बाहर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आचार्यश्री ने सुबह 10 बजे प्रवचन स्थल सुखसागर प्रवचन-वाटिका में प्रवेश किया। आचार्यश्री ने अपने उद्बोधन में उनकी मंत्र साधना की सफलता के लिए श्रावक-श्राविकाओं द्वारा किए गए नवकार मंत्र जाप के लिए प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सूरिमंत्र प्रथम पीठिका मौन-साधना आनन्ददायी रही। यह ज्ञातव्य है कि संपूर्ण भारत में स्थान स्थान पर पूज्यश्री की साधना के निर्विघ्न लक्ष्य के लिये नवका

Durg se Sangh दुर्ग से छह री पालित उवसग्गहर पार्श्वनाथ तीर्थ तक पैदल संघ

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Durg se Sangh       दुर्ग नगर से पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. , पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. , पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. , पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. ठाणा 5 की पावन निश्रा में श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ एवं चातुर्मास समिति दुर्ग के तत्वावधान में दुर्ग नगर से उवसग्गहर पार्श्वनाथ तीर्थ होते हुए कैवल्यधाम तीर्थ के लिये पंच दिवसीय छह री पालित पद यात्रा संघ का आयोजन किया गया है। इस संघ का आयोजन श्री भूरमलजी पतासी देवी बरडिया परिवार की ओर से होने जा रहा है।

दीपावली शुभाशयः

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दीपावली शुभाशयः Happy Diwali

Navpad Oli तप धर्म की आराधना.. परमात्मा महावीर जानते थे कि उन्हें उसी भव में मोक्ष जाना है। फिर भी घाती कर्मों का क्षय करने के लिए दीक्षा लेकर एकमात्र तप धर्म का ही सहारा लिया। साढ़े बारह वर्ष तक भूमि पर बैठे नही। सोये नहीं। तप की साधना तभी फलीभूत हुयी और सभी घाती कर्मों का क्षय कर केवलज्ञान को प्राप्त किया ।

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navpad oli आज नवपद ओली जी का अंतिम 9 वां दिन तप पद की आराधना तप जीवन का अमृत है  । जैसे अमृत मिलने पर मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है वैसे ही हमारे जीवन में तप रूपी अमृत आने पर जीवन अमर हो जाता है। दूध को तपाने से मलाई,  अन्न को तपाने से स्वादिष्ट भोजन,  सोने को तपाने से आभूषण बन जाता है।  वैसे ही शरीर को तप की अग्नि द्वारा तपाने से हमारे कर्म रूपी मैल खिरने लगता है  ।

Navpad Oli 8th day संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए !

नवपद ओलीजी का आज आठवां दिन चारित्र पद की आराधना आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए ! संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! बिना इसके कोई नही जा सकता है वह चारित्र 2 प्रकार का - 1 देश विरति ( श्रावक जो छोटे नियम व्रत का पालन करता है) 2 सर्व विरति (साधू जो 5 महाव्रत का पालन करता है) राग और चारित्र में कट्टर शत्रुता है,  दोनों में से कोई 1 ही रह सकता है! हमारे हृदय में राग इतना जोरदार चिपक गया है । वैराग्य भाव टिक नहीं रहा है। चारित्र के लिये राग नहीं, वैराग्य चाहिए।

Jahaj_Mandir_Magazine_Oct- 2016.pdf

Durg पूज्यआचार्यश्री के दर्शनार्थ पधारे श्री मोतीलालजी वोरा

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दुर्ग नगर में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के दर्शनार्थ बाहर से पधारने वाले संघों व श्रावकों का तांता लगा हुआ है। विशेष रूप से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री , पूर्व राज्यपाल व वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री मोतीलालजी वोरा पूज्यश्री के दर्शनार्थ पधारे। उनके साथ उनके सुपुत्र विधायक श्री अरूणजी वोरा उपस्थित थे। श्री वोराजी ने पूज्यश्री से वर्तमान स्थितियों पर वार्तालाप किया। पूज्यश्री ने वासक्षेप डालकर आशीर्वाद प्रदान किया।

Udaipur उदयपुर के सूरजपोल दादावाडी में चातुर्मास का ठाट

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Udaipur उदयपुर के सूरजपोल दादावाडी में चातुर्मास का ठाट पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवन्त प्रज्ञापुरुष श्री जिनकान्तिकासागरसूरीश्वरजी मसा. के शिष्य-प्रशिष्य एवं खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिसागरजी म.सा. एवं मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में उदयपुर स्थित श्री जिनकुशलसूरि आराधना भवन , श्री जिनदत्तसूरि दादावाड़ी में चातुर्मास महोत्सव का जबरदस्त ठाट लगा है। इसी क्रम में दिनांक 29-8-2016 से 5 सितम्बर तक पर्युषण पर्व की आराधना उल्लास पूर्वक सम्पन्न हुई जिसमें कल्पसूत्र घर ले जाना एवं बोहराने का लाभ श्रीमती कमलाबेन - दलपतसिंहजी , गोरधनसिंहजी दोशी परिवार द्वारा लिया गया।

KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD ADHIVESHAN 2

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दो दिवसीय  अ.भा.खरतरगच्छ युवा परिषद, राष्ट्रीय सम्मेलन  को संबोधित करते हुए आज दिनाक 25 सितम्बर 2016 को  आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीजी म.सा.   ने सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से कुछ नियमों का पालन करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सभी युवा सदस्य गुरूवंदन की विधि का पालन पूरी श्रद्धा के साथ करें। साधु-साध्वियों के चरण स्पर्श, उनके विहार के दौरान सामने आकर न करे, दूर से ही श्रद्धाभाव से प्रणाम करें।  आचार्यश्री ने युवाओं को रात्रि के समय भोजन न करने का संकल्प  लेने के साथ  तथा  रात्रि-भोज जैसे आयोजनों में शामिल न होने  का भी निर्देश दिया। दुर्ग में आयोजित इस अ.भा.ख.यु.परिषद के प्रथम राष्ट्रीय  सम्मेलन में युवाओं के उल्लास और उत्साह पर आचार्यश्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सम्मेलन आयोजन करने वाली चातुर्मास आयोजन समिति और अ.भा.छ.ग.युवा परिषद, दुर्ग इकाई के कार्यो की अनुमोदना भी की। आचार्यश्री ने सभी युवाओं को सामायिकी, प्रतिक्रमण, साधना आदि सीखने एवं सिखाने के लिए संकल्पित होने का निर्देश भी दिया।

KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD ADHIVESHAN

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दो दिवसीय अ.भा.खरतरगच्छ युवा परिषद, राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए आज दिनाक 25 सितम्बर 2016 को आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीजी म.सा. ने युवाओं को कहा कि खरतरगच्छ युवा परिषद से जुड़े हर सदस्य को जीवन के लिए और धर्म पालन के लिये संकल्प लेना चाहिए।  आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में हृदय की शुद्धता के साथ श्रद्धा और दूसरों के प्रति अच्छे विचारों को ग्रहण करें और उनको कार्य रूप में परिवर्तित भी करें। शिक्षा के क्षेत्र में मानवसेवा के क्षेत्र में सभी युवा सदस्य सक्रियता से जुड़े और समाजसेवी कार्योें को मूर्तरूप देकर दूसरों को प्रेरणा दें।  आचार्यश्री ने युवा समुदाय को धर्म क्षेत्र में प्राचीन मंदिरों और उपाश्रयगृहों के जीर्णोद्धार के लिए सहयोग के साथ-साथ नए मंदिरों और उपाश्रय गृहों की स्थापना एवं निर्माण के लिए भी तत्परता से सहयोग से जुड़ने को कहा।

KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD खरा रहना ही खरतरगच्छ की पहचान है-आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरि

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KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD  दुर्ग ! ‘‘सारे युवा एकजुट होकर एक-दूसरे से सहयोग करते हुए धर्म के क्षेत्र में काम करें यही अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद का उद्देश्य है। किसी धर्म या सम्प्रदाय का विरोध न करते हुए अपना विकास ही खरतरगच्छ युवा परिषद का एजेन्डा है। खरतरगच्छ में सदस्यों की संख्या कम हो चलेगा किन्तु सदस्यों में गच्छ के प्रति समर्पण और अनुशासन जरूरी है। सदस्यों का भाषा, वाणी, आचरण और कार्यशैली में खरा रहना ही खरतरगच्छ की पहचान है।’’ उक्त विचार आज अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहे।               आचार्यश्री ने युवाओं को सफलता के लिए डिसीप्लीन (अनुशासन), डायरेक्शन (निर्देशन), सही उद्देश्य और लक्ष्य पाने के लिए क्रियाशीलता तथा डेयर (साहस) का 3-डी सूत्र दिया।

Palitana JinHari Vihar पालीताणा में क्षमापना पर्व मनाया गया

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Palitana पालीताणा में क्षमापना पर्व मनाया गया   पालीताणा स्थित जिन हरि विहार संस्था में पर्युषण महापर्व में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीजी म. के शिष्य  पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी महाराज आदि ठाणा के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व भक्ति भावना एवं तपस्या के साथ मनाए गए। आठ दिन तक चलने वाली आराधना में प्रात: देवदर्शन,   पूजा,   प्रवचन,   दोपहर में भगवान की पूजा,   सांयकालीन प्रतिक्रमण,   रात्रीकालीन भक्ति संध्या आदि में श्रावक-श्राविकाओं का हुजूम उमड़ पड़ता था। महावीर जन्म-वाचन में भी श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साह से भाग लिया। अन्तिम दिन में चैत्य परिपाटी का आयोजन किया गया। Palitana पालीताणा में क्षमापना पर्व मनाया गया जिन हरि विहार समिति के मंत्री बाबुलाल लुणिया ने बताया कि सातवें दिन विविध तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। आठों दिन प्रवचन में अखिल भारत के विविध नगरों से पधारे सभी आराधकों ने पर्युषण महापर्व को सहज अनुशासन के साथ बधाया।

Udaipur उदयपुर में खरतर दिवस मनाया

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Udaipur उदयपुर में खरतर दिवस मनाया            दिनांक 14 अगस्त 2016 को खरतर दिवस के उपलक्ष में उदयपुर में  विराजित आयड तीर्थ में आचार्य श्री विजयअभयसेनसूरिजी म., थोब की वाड़ी संघ से उपाध्याय श्री नरेन्द्रविजयजी म.सा., अंचलगच्छ संघ से मुनिराज श्री तीर्थरत्नसागरजी म., हिरणमगरी संघ से साध्वी श्री संजयशीलाजी म., सूरजपोल दादावाडी संघ से मुुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म. एवं मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म. आदि विशाल संख्या में साधु-साध्वी भगवन्तों का गुरुवन्दना व महापुरुषों की जीवनी पर प्रवचन का आयोजन उदयपुर के सुरजपोल स्थित श्री जिनदत्तसुरि दादावाडी के जिनकुशलसूरि मणि आराधना भवन में हुआ।

Durg दुर्ग में चातुर्मास का उल्लासपूर्ण माहौल

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Durg दुर्ग में चातुर्मास का उल्लासपूर्ण माहौल  पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत प्रज्ञापुरूष श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया आगम ज्योति प्रवर्तिनी श्री प्रमोदश्रीजी म.सा. की शिष्या पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. ठाणा 5 की पावन निश्रा में छत्तीसगढ के दुर्ग नगर में चातुर्मास महोत्सव का जबरदस्त ठाट लगा है।

Michchhami Dukkadam

पर्वाधिराज पर्युषण की समाप्ति के परम पावन अवसर पर गत वर्ष जाने-अनजाने मन-वचन, काया के द्वारा आपको किसी भी प्रकार का आघात पहुँचा हो तो अपनी समस्त भूलों हेतु विनम्रतापूर्वक क्षमायाचना करते हुए आप सबको मिच्छा मि दुक्कडं. हम संकल्प लेते हैं कि आगामी वर्ष में हमारे वाणी-व्यवहार शुद्ध निष्पक्ष और आत्मीयपूर्ण रहे... जहाज मंदिर परिवार, राजस्थान

Paryushan at Palitana

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Paryushan at Palitana  Paryushan at Palitana  पालीताणा स्थित जिन हरि विहार संस्था में पर्युषण महापर्व के चतुर्थ दिन खरतर गच्छ के आचार्य जिनमणिप्रभसागरसूरिजी महाराज के शिष्य मुनि मयंकप्रभसागरजी महाराज के निर्देशन में हस्तिमलजी बोथरा परिवार बाडमेर वालों ने कल्पसूत्र को अर्पण कर सकल श्रीसंघ को शास्त्र श्रवण करवाने का लाभ लिया।

Paryushan Mahaparv @Durg

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दुर्ग ! पर्यूषण पर्व श्रावकों के लिए मोक्ष मार्ग पर जाने के पुरूषार्थ की आंतरिक तैयारी का समय है। जिस हृदय में दूसरों के प्रति क्षमा की नदी, सभी जीवों के प्रति समता का झरना और श्रद्धा की गंगा बहती हो उसकी आत्मा शुद्धत्व पाकर प्रतिक्रमण कर जीवन लक्ष्य मोक्ष की ओर अग्रसित होती है। धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहा कि मृत्यु के भय में मनुष्य कुछ भूल जाता है। मृत्यु का भय हमें पापकर्म से भी बचाता है। ऋषभ नगर, दुर्ग में श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ और संघशास्ता चातुर्मास समिति द्वारा आयोजित चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहा कि जीवन लक्ष्य, मोक्ष को पाने के लिए आत्मशुद्धि एवं प्रतिक्रमण के लिए पर्यूषण पर्व के शेष दिनों में भौतिक सुविधाओं को त्यागकर अनावश्यक भ्रमण, अनावश्यक वार्तालाप आदि से बचकर समय का सदुपयोग साधना में करें। 

Pravachan Acharya Jinmaniprabhsuri ji @Durg Chaturmas 29 August 2016

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 Acharya Jinmaniprabhsuri ji अहिंसा परमोधर्म: का संदेश देने वाला पर्व पर्वाधिराज पर्यूषण एवं प्रतिवर्ष जीवन को धन्य बनाने का अवसर प्रदान करने वाला पर्व है। यह पर्व ऐसे आठ दिनों का समूह है जो श्रावकों को समस्त हिंसा वाला क्रियाओं को त्यागने तथा अहिंसा को अपने जीवन में सभी कर्म-विधानों, मन-वचन और काया से निर्वहन की शिक्षा देता है। वर्ष भर में जाने-अनजाने की गई हिंसा और जीव-जंतुओं को पहुंचायी गई पीड़ा के लिए क्षमा प्रार्थना का अवसर है, पर्यूषण पर्व। दुर्ग में चल रही प्रवचन श्रृंखला में आज दिए गए विशेष प्रवचन में आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने उक्त विचार व्यक्त किए।