जहाज मंदिर वर्षगांठ
संपन्न... श्री जिनकान्तिसागरसूरि
स्मारक जहाज मंदिर
की 16वीं वर्षगांठ
पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री
के शिष्य पूज्य
मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी
म. पू. मुनि
श्री नयज्ञसागरजी म.
की पावन निश्रा
में माघ सुदि
14 सोमवार ता. 2 फरवरी 2015 को
मनाई गई। अठारह
अभिषेक करवाये गये। सतरह
भेदी पूजा पढाने
के साथ शिखर
पर ध्वजा चढाई
गई। मुख्य ध्वजा
के अमर लाभार्थी
श्री पारसमलजी भानमलजी
छाजेड परिवार की
ओर से उनके
परिवार ने ध्वजा
चढाई। इस अवसर
पर पूजनीया साध्वी
श्री मुक्तिप्रियाश्रीजी म.सा. आदि
ठाणा का ट्रस्ट
के आग्रह पर
पदार्पण हुआ।
इस अवसर
पर प्रवचन फरमाते
हुए पूज्य मुनिश्री
ने कहा- पूज्य
गुरुदेव की स्मृति
में बना यह
जहाज मंदिर संसार
सागर को तिरने
का एक उपक्रम
है। इस मंदिर
का अनूठा स्थापत्य,
पूर्ण रूप से
स्वर्ण अभिमंडित परिकर सहित
परमात्मा की अलौकिक
दिव्य प्रतिमा एक
शान्ति भरा सुकून
देती है। और
यहाँ जो कांच
का काम हुआ
है, ऐसा लगता
है जैसे हम
किसी अन्य लोक
में आ गये
हैं।
उन्होंने कहा- यह
सब पूज्य गुरुदेव
आचार्यश्री की कृपा
का ही फल
है। मुझ पर
पूज्य गुरुदेवश्री की
पूर्ण कृपा थी।
आज मैं जो
कुछ भी हूँ,
वह सब पूज्य
गुरुदेव के आशीर्वाद
का ही फल
है।
ट्रस्ट की ओर
से पूज्यश्री को
कामली वहोराई गई।
गुरुपूजन किया गया।
अष्टप्रकारी पूजा के
वार्षिक चढावे बोले गये।
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