तिरूपुर में दादावाडी
की प्रतिष्ठा संपन्न
इस नगर
में विहार करते
हुए 15 वर्ष पूर्व
पध्ाारे पू. साध्वी
श्री हेमप्रभाश्रीजी म.सा. ने
इस नगर में
दादावाडी बनाने की प्रेरणा
दी। संघ का
गठन हुआ। चार
पांच वर्ष श्री
मनोजकुमारजी हरण पध्ाारे।
और जिन मंदिर
दादावाडी का भूमिपूजन,
खात मुहूर्त्त व
शिलान्यास संपन्न हुआ।
महोत्सव का प्रारंभ
19 जनवरी को कुंभ
स्थापना से हुआ।
ता. 23 जनवरी को पूज्य
गुरु भगवंतों का
मंगल प्रवेश हुआ।
ता. 25 जनवरी को भव्यातिभव्य
शोभायात्रा का आयोजन
श्री सुवििध्ानाथ मंदिर
से किया गया।
समस्त जैन समाज
के अलावा तमिल
समाज के लोगों
का सहयोग पूर्ण
रहा।
26 जनवरी को ओम्
पुण्याहं पुण्याहं के दिव्य
मंत्रोच्चारणों के साथ
परमात्मा को गादीनशीन
किया गया। मूल
गंभारे में श्री
शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की
प्रतिमा बिराजमान की गई।
बाहर कोली मंडप
में श्री मुनिसुव्रतस्वामी
एवं श्री आदिनाथ
प्रभु को बिराजमान
किया गया। परमात्मा
के दायीं ओर
बनी छत्री में
प्रथम गणध्ार अनंत
लिब्ध्ानिध्ाान गुरु गौतम
स्वामी को बिराजमान
किया गया। जबकि
बायीं ओर बनी
छत्री में तीसरे
दादा गुरुदेव श्री
जिनकुशलसूरि की प्रतिमा
प्रतिष्ठित की गई।
रंगमंडप में बने
चार गोखलों में
श्री नाकोडा भैरव,
श्री भोमियाजी, श्री
अंबिकादेवी एवं श्री
पद्मावती देवी को
बिराजमान किया गया।
शासन रत्न
श्री मनोजकुमारजी हरण
ने मार्गदर्शन के
साथ साथ बोलियां
बुलवाई। बोलियों का एक
इतिहास बना।
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