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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

तमिलनाडु प्रान्त के तिरूपुर नगर में श्री पाश्र्वनाथ परमात्मा के शिखरबद्ध मंदिर एवं दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म.सा. एवं पू. छत्तीसगढ़ रत्ना महत्तरा साध्वी श्री मनोहरश्रीजी म.सा. की शिष्या पू. साध्वी श्री तरूणप्रभाश्रीजी म. तथा पू. साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म. की शिष्या पू. साध्वी श्री मयूरप्रियाश्रीजी म., आदि साध्ाु-साध्वी मंडल की पावन निश्रा में ता. 26 जनवरी 2015 को अत्यन्त आनंद व हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई।

तिरूपुर में दादावाडी की प्रतिष्ठा संपन्न
इस नगर में विहार करते हुए 15 वर्ष पूर्व पध्ाारे पू. साध्वी श्री हेमप्रभाश्रीजी .सा. ने इस नगर में दादावाडी बनाने की प्रेरणा दी। संघ का गठन हुआ। चार पांच वर्ष श्री मनोजकुमारजी हरण पध्ाारे। और जिन मंदिर दादावाडी का भूमिपूजन, खात मुहूर्त्त शिलान्यास संपन्न हुआ। 
महोत्सव का प्रारंभ 19 जनवरी को कुंभ स्थापना से हुआ। ता. 23 जनवरी को पूज्य गुरु भगवंतों का मंगल प्रवेश हुआ। ता. 25 जनवरी को भव्यातिभव्य शोभायात्रा का आयोजन श्री सुवििध्ानाथ मंदिर से किया गया। समस्त जैन समाज के अलावा तमिल समाज के लोगों का सहयोग पूर्ण रहा।

26 जनवरी को ओम् पुण्याहं पुण्याहं के दिव्य मंत्रोच्चारणों के साथ परमात्मा को गादीनशीन किया गया। मूल गंभारे में श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की प्रतिमा बिराजमान की गई। बाहर कोली मंडप में श्री मुनिसुव्रतस्वामी एवं श्री आदिनाथ प्रभु को बिराजमान किया गया। परमात्मा के दायीं ओर बनी छत्री में प्रथम गणध्ार अनंत लिब्ध्ानिध्ाान गुरु गौतम स्वामी को बिराजमान किया गया। जबकि बायीं ओर बनी छत्री में तीसरे दादा गुरुदेव श्री जिनकुशलसूरि की प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई।
रंगमंडप में बने चार गोखलों में श्री नाकोडा भैरव, श्री भोमियाजी, श्री अंबिकादेवी एवं श्री पद्मावती देवी को बिराजमान किया गया।

शासन रत्न श्री मनोजकुमारजी हरण ने मार्गदर्शन के साथ साथ बोलियां बुलवाई। बोलियों का एक इतिहास बना।

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