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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

9 जटाशंकर


 -उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.
सुबह ही सुबह जटाशंकर के मन में इच्छा जगी कि ज़िंदगी मैं तैरना ज़रूर सीखना चाहिये। कभी विपदा में उपयोगी होगा।
वह प्रशिक्षक के पास पहुँचा। वार्तालाप कर सौदा तय कर लिया। प्रशिक्षक उसे स्विमिंग पुल पर ले गया। स्वयं पानी में उतरा और जटाशंकर को भी भीतर पानी में आने का आदेश दिया।
जटाशंकर पहली पहली बार पानी में उतर रहा था। डरते डरते वह घुटनों तक पानी में उतर गया। प्रशिक्षक ने कहा ओर आगे आओ। छाती तक पानी में जाते जाते तो वह कांप उठा। साँस ऊपर नीचे होने लगी। दम घुटने लगा। प्रशिक्षक उसे तैरने का पहला गुर सिखाये, उससे पहले ही जटाशंकर ने त्वरित निर्णय लेते हुए पानी से बाहर छलांग लगा दी।
किनारे खडे जटाशंकर से प्रशिक्षक ने कहा अरे, अन्दर आओ। मैं तुम्हें तैरना सिखा रहा हूं और तुम बाहर भाग रहे हो।
जटाशंकर ने कहा महाशय! मुझे पानी में बहुत डर लग रहा है। डूबने का खतरा दिल दिमाग पर छाया हैं इसलिये मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जब तक मैं तैरना नहीं सीख लूंगा, तब तक मैं पानी में कदम नहीं रखमंगा।
पानी में उतरे बिना तैरना सीखा नहीं जा सकता। साधना में डुबकी बिना साध्य को पाया नहीं जा सकता।
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