कत्लखाने भारत देश
का कलंक
है
पूज्य उपाध्याय श्री
मणिप्रभसागरजी महाराज ने ता. 21 जुलाई
2012 श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ
मुंबई द्वारा
आयोजित प्रेस
कान्फरेन्स में कहा- यह अत्यन्त
पीडा और
दु:ख
की बात
है कि
भारत जैसे
धर्म प्राण
एवं सांस्कृतिक
देश में
और अधिक
आधुनिक बूचडखाने
खोलने का
आदेश सरकार
द्वारा दिया
जा रहा
है।
भारत देश ऋषि
मुनियों का
देश है।
कोई भी
धर्म हमें
हिंसा नहीं
सिखाता। क्या
पशुओं को
जीने का
अधिकार नहीं
है!
भारत देश जहाँ
दूध घी
की नदियाँ
बहती थी।
देश का
पशुधन समाप्त
हो रहा
है। अन्य
देश अपने
देश के
कत्लखाने बंद
कर रहे
हैं। और
भारत देश
केवल कुछ
विदेशी मुद्रा
में प्रलोभन
में अपने
यहाँ कत्लखानों
को अनुमति
दे रहा
है। इससे
भारत का
पर्यावरण खतरनाक
रूप से
दूषित हो
रहा है।
पशुओं को भी
जीने का
उतना ही
अिध्ाकार है,
जितना मनुष्यों
को!
जिस देश में
भगवान महावीर
ने अहिंसा
का पाठ
पढाया! जिस
देश में
भगवान् बुद्ध
ने करूणा
की शिक्षा
दी! जिस
देश में
भगवान् श्री
कृष्ण ने
गो रक्षा
के लिये
आदर्श उपस्थित
किये, आज
वही देश
हिंसा में
डूब कर
राक्षसों का
अनुयायी होता
जा रहा
है!
उन्होंने कहा- जैन
साहित्य के
अनुसार मेघरथ
राजा और
सनातन धर्म
के साहित्य
के अनुसार
शिवि राजा
ने एक
कबूतर की
रक्षा करने
के लिये
बाज पक्षी
को अपनी
जंघा का
मांस देना
स्वीकार कर
लिया था।
उन्हें अपने
प्राणों की
आहुति देना
स्वीकार्य था, पर जीवहिंसा स्वीकार्य
नहीं थी।
उन्होंने आंकडे बताते
हुए कहा-
आजादी के
समय भारत
में केवल
300 कत्लखाने थे, जबकि आज भारत
में कत्लखानों
की संख्या
लाख से
उपर हो
चुकी है।
महात्मा गांधी
ने जिस
अहिंसा के
बल पर
भारत को
आजाद कराया
था, आज
उसी देश
में हिंसा
के पाठ
पढाये जा
रहे हैं।
पशुओं का
खून बहाया
जा रहा
है।
उन्होंने कहा- भारत
का पूरा
पर्यावरण नष्ट
हो रहा
है। प्रकृति
रूठी हुई
है। समय
पर बरसात
नहीं है।
पानी की
कमी है।
इन सभी
का एक
ही कारण
है और
वह है-
पशु वध!
उन्होंने कहा- पूरे
मुंबई को
जितना पानी
सप्लाई होता
है, उसका
चालीस प्रतिशत
पानी केवल
देवनार के
कत्लखाने में
पूरा हो
जाता है।
उन्होंने कहा- भूकंप
क्यों आते
हैं! कत्लखाने
में दर्द
के कारण
जब पशुओं
की चीत्कार
उठती है...
उस हाय
के वायबरेशन
के कारण
धरती कांपती
है... भूकंप
आते हैं!
पर्यावरण की
सुरक्षा के
लिये विदेशों
से कत्लखाने
समाप्त हो
रहे हैं।
और भारत
देश विदेशी
लोगों के
लिये अपने
देश को
कत्लखानों से पाट रहा है
और इस
प्रकार अपने
ही देश
को हर
दृष्टि से
नष्ट करने
पर तुला
है।
उन्होंने कहा- हम
इस मुद्दे
पर सर्व
धर्म सम्मेलन
का आयोजन
करेंगे। हमारा
उद्देश्य है-
आम जनता
को जागरूक
करना। ये
कत्लखाने भारत
की भूमि
के लिये
अभिशाप है।
पत्रकारों के प्रश्नों
के उत्तर
देते हुए
पूज्यश्री ने कहा- यह कार्य
केवल जैन
समाज का
नहीं है,
यह कार्य
समस्त जीव
दया प्रेमी
समाज का
है। भले
वह किसी
भी जाति
या धर्म
से संबंधित हो।
प्रेस कान्फरेन्स में
पूज्य उपाध्यायश्री
के शिष्य
पूज्य मुनि
श्री मनितप्रभसागरजी
म. एवं
जीवदया प्रेमी
पूज्य मुनि
श्री मैत्रीप्रभसागरजी
म. भी
उपस्थित थे।
यह ज्ञातव्य
है कि
पूज्य मैत्रीप्रभसागरजी
म. पिछले
तीन वर्षों
से जीवदया
के लिये
समर्पित होकर
कार्य कर
रहे हैं।
इन्होंने मेरठ
में अनशन
कर आमजनता
को जागृत
किया। परिणाम
यह हुआ
कि उत्तर
प्रदेश सरकार
द्वारा प्रस्तावित
आठ नये
कत्लखानों के आदेश को रद्द
करना पडा।
इसी प्रकार पालीताणा
और सूरत
में कत्लखानों
और खुलेआम
मांस बिक्री
आदि के
विरोध में
अनशन कर
सफलता प्राप्त
की।
उन्होंने भी प्रेस
को संबोधित कर जीवदया
के लिये
कार्य करने
की अपील
की।
पूज्य मुनि श्री
मनितप्रभसागरजी म. ने पूज्य उपाध्यायश्री
का परिचय
दिया। इस
प्रेस वार्ता
में चातुर्मास
संयोजक संघवी
पुखराज छाजेड,
श्री प्रशान्त
भाई झवेरी,
श्री प्रदीप
श्रीश्रीश्रीमाल उपस्थित थे। उन्होंने पत्रकारों
का स्वागत
किया।
प्रेषक
प्रदीप श्रीश्रीश्रीमाल
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